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FFD4 सम्मेलन: ऋण संकट से जूझ रहे देशों के लिए नया वैश्विक मंच

 - World News in Hindi

स्पेन के सेविया में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास पर अहम सम्मेलन (FFD4 ) के दौरान एक नई व्यवस्था शुरू की गई है, जिससे क़र्ज़ संकट से परेशान देशों को समन्वित कार्रवाई करने और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अपनी आवाज़ मज़बूत करने का अवसर मिलेगा. इस ‘क़र्ज़दार मंच’ (Borrowers' Forum) कोअन्तरराष्ट्रीय ऋण प्रणाली में सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है. यह मंच संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से स्थापित हुआ है और सेविया समझौते के अन्तिम दस्तावेज़ का एक अहम हिस्सा बनकर उभरा है.मिस्र की योजना व आर्थिक विकास मंत्री डॉक्टर रानिया अल-मशात ने कहा, "यह केवल बातें नहीं हैं, यह ज़मीनी स्तर पर की जा रही ठोस कार्रवाई है."उन्होंने कहा कि 'क़र्ज़दार मंच’ एक ठोस योजना है, देशों ने क़र्ज़ की चुनौतियों का सामना करने के लिए साझा आवाज़ और रणनीति तैयार करने के लिए, मिलकर तैयार किया है.संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास संगठन (UNCTAD) की महासचिव रिबेका ग्रिनस्पैन ने कहा कि विकासशील देश, जब ऋण पर बातचीत करते हैं, तो सामने ऋणदाता देश, एकजुट मोर्चा बनाकर खड़े होते हैं, जबकि ये देश अकेले पड़ जाते हैं.
महासचिव ग्रिनस्पैन ने कहा "आवाज़ केवल बोलने की क्षमता नहीं है, यह नतीजों को आकार देने की शक्ति है. आज 3.4 अरब लोग ऐसे देशों में रहते हैं जो स्वास्थ्य या शिक्षा पर ख़र्च की जाने वाले धन से अधिक धन, ऋण चुकाने में ख़र्च करते हैं.”यह मंच संयुक्त राष्ट्र महासचिव के ऋण विशेषज्ञ समूह की 11 सिफ़ारिशों में शामिल है, जो देशों को अनुभव साझा करने, तकनीकी व क़ानूनी परामर्श सुविधा, ऋण देने की ज़िम्मेदारी भरी व्यवस्था और क़र्ज़ लेने के मानकों को बढ़ावा देने, और सामूहिक रूप से सौदेबाज़ी करने की ताक़त विकसित करने का अवसर देगा.यह पहल वैश्विक दक्षिण (Global South) की वर्षों पुरानी उस मांग को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई है, जिसमें ऐसी ऋण व्यवस्था की बात की गई थी जहाँ केवल क़र्ज़दाताओं के नहीं, बल्कि क़र्ज़ लेने वाले देशों के हितों को भी समान महत्व मिले. एक ऐसी व्यवस्था से परे, जो अब तक मुख्य रूप से ऋणदाताओं के हितों से संचालित रही है. UN News/Matt Wells एक नई शुरुआत...ज़ाम्बिया के विदेश मंत्री मुलाम्बो हाइम्बे ने पत्रकारों से कहा कि यह पहल “दीर्घकालिक साझेदारी, पारस्परिक सम्मान और साझा ज़िम्मेदारी” को बढ़ावा देगी.उन्होंने अपने देश की ओर से मंच की एक प्रारम्भिक बैठक की मेज़बानी करने की इच्छा भी व्यक्त की.स्पेन के वित्त मंत्री कार्लोस कुएर्पो ने वर्तमान ऋण संकट को 'मौन लेकिन अत्यन्त आवश्यक' बताते हुए, इस मंच को लगभग 70 साल पहले स्थापित हुए ऋणदाताओं के पेरिस क्लब के समान एक 'सेविया क्षण' क़रार दिया.संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडा वित्तपोषण के विशेष दूत महमूद मोहील्दीन ने कहा कि यह मंच एक ऐसे तंत्र के लिए सीधी प्रतिक्रिया है, जिसने क़र्ज़दार देशों को बहुत लम्बे समय तक अलग-थलग रखा.उन्होंने कहा कि, “यह आवाज़, न्याय और अगले ऋण संकट को शुरू होने से पहले ही रोकने के बारे में है.”यह पहल ऐसे समय में शुरू की गई है, जब विकासशील देशों में ऋण संकट लगातार बढ़ रहा है.इस सम्मेलन में सर्वसम्मति से सेविया समझौते (Compromiso de Sevilla) को अपनाया गया, जिसमें सम्प्रभु ऋण सुधार से जुड़ी कई अहम प्रतिबद्धताएँ शामिल हैं.यह समझौता क़र्ज़ लेने वाले देशों की पहलों को समर्थन देने समेत, ऋण से जुड़ी जानकारी को ज़्यादा पारदर्शी बनाने, ऋणदाताओं के बीच बेहतर तालमेल बढ़ाने, और ऋण पुनर्गठन के लिए एक बहुपक्षीय क़ानूनी ढाँचे पर विचार करने की ज़रूरत को रेखांकित करता है. UN News/Matt Wells 'फ़र्ज़ी समाधान'सेविया समझौता नागरिक समाज संगठनों की नज़र में उतना प्रभावी नहीं था, जितनी उम्मीद की गई थी. वे मानते हैं कि यह एक ऐसा अवसर है जिसे गँवा दिया गया है, एक ऐसा अवसर जिसमें अगर सही क़दम उठाए जाते, तो वैश्विक ऋण व्यवस्था में बड़े और ज़रूरी सुधार किए जा सकते थे.अफ़्रीकी ऋण और विकास मंच (AFRODAD) के जेसन ब्रगांज़ा ने सम्मेलन के दौरान एक प्रैस वार्ता में कहा कि पहले ही दिन अपनाया गया अन्तिम दस्तावेज़ यानि सेविया समझौता, उस स्तर तक नहीं पहुँच सका जिसकी वास्तव में ज़रूरत थी.“अफ़्रीका के लगभग आधे देश गम्भीर ऋण संकट से जूझ रहे हैं. वे स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छ जल जैसी बुनियादी ज़रूरतों में निवेश करने के बजाय, ऋणदाताओं को भारी धन का भुगतान कर रहे हैं.”ब्रगांज़ा ने अफ़्रीकी समूह और छोटे द्वीपीय देशों के गठबन्धन की सराहना की, जिन्होंने सम्प्रभु ऋण पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा सम्मेलन (UN Framework Convention) के लिए मज़बूती से आवाज़ उठाई. UN Photo/Mariscal नागरिक समाज के नेताओं ने तथाकथित “जलवायु के बदले ऋण समझौते” (debt-for-climate swaps) के ख़तरों को लेकर भी चेतावनी दी.ब्रगांज़ा ने इन्हें “फ़र्ज़ी समाधान” क़रार दिया, जो विकासशील देशों को वास्तव में आवश्यक वित्तीय राहत या स्थान नहीं प्रदान करते.योरोपीय ऋण और विकास नेटवर्क (Eurodad) की टोवे राइडिंग ने भी इन चिन्ताओं को दोहराया और कहा, “हमें बताया जाता है कि ग़रीबी और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए धन नहीं हैं, लेकिन हकीक़त यह है कि धन उपलब्ध है. समस्या आर्थिक अन्याय की है, और इस सम्मेलन का नतीजा उसी पुरानी सोच और प्रणाली को दर्शाता है.”उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के नए कर समझौते (UN Tax Convention) पर हुई प्रगति को इस बात का प्रमाण बताया कि अगर देश ठान लें तो वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है.‘वैश्विक स्वास्थ्य कार्य पहल’स्पेन ने बुधवार को ‘वैश्विक स्वास्थ्य कार्य पहल’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं और नीतियों तक पहुँच में मौजूद खाई को पाटने और स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती से होने वाली सम्भावित हज़ारों मौतों को रोकना और वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को नई ऊर्जा देना है.यह पहल 2025 से 2027 के बीच वैश्विक स्वास्थ्य ढाँचे में 31.5 करोड़ योरो का निवेश करेगी. इसे कई प्रमुख बहुपक्षीय स्वास्थ्य संगठनों और 10 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त है.

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