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ईरान: हिंसक टकराव के बाद उपजी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रयास

 - World News in Hindi

ईरान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि कुछ दिनों पहले हुए भड़के हिंसक टकराव के बाद उपजी आवश्यकताओं को पूरा करने के इरादे से मौजूदा यूएन कार्यक्रमों में बदलाव लाने पर चर्चा हो रही है. ईरान में यूएन के रैज़ीडेंट कोऑर्डिनेटर स्टेफ़ान प्रीसनर ने मंगलवार को राजधानी तेहरान से एक वीडियो लिंक के ज़रिए जिनीवा में पत्रकारों को हालात से अवगत कराया.उन्होंने कहा कि इसराइल के साथ हुए हिंसक टकराव में सैकड़ों लोगों की जान गई है, अनेक अस्पताल हमलों की चपेट में आए हैं और अफ़ग़ानिस्तान वापिस लौटने वाले शरणार्थियों की संख्या में तेज़ी आई है.“13 जून की सुबह के आरम्भिक घंटों में, तेहरान व ईरान के अन्य हिस्सों में कई हमले किए गए.”उसके बाद अगले 12 दिनों तक, दोनों ओर से अनेक हमले किए गए. “हम जानते हैं कि ईरान में कम से कम 627 लोगों की जान गई है और लगभग 5,000 घायल हुए हैं.”रैज़ीडेंट कोऑर्डिनेटर ने कहा कि इस पूरे टकराव के दौरान ईरान में संयुक्त राष्ट्र की उपस्थिति बनी रही, और अब सरकार के साथ चर्चा हो रही है कि मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यूएन कार्यक्रमों में किस तरह से बदलाव लाया जाए.ईरान में विकास व मानवतावादी कार्यक्रमों के लिए संयुक्त राष्ट्र की 18 एजेंसियाँ मौजूद हैं, जिनके लिए लगभग 50 अन्तरराष्ट्रीय कर्मचारी और 500 स्थानीय स्टाफ़ सेवारत हैं. UN Iran ईरान में यूएन के रैज़ीडेंट कोऑर्डिनेटर स्टेफ़ान प्रीसनर. तेहरान में स्थितिउन्होंने बताया कि राजधानी तेहरान में बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी मिसाइल हमलों से सुरक्षा की तलाश में अपने घर छोड़ कर चले गए थे.इस दौरान ईरानी जनता ने एक दूसरे के प्रति एकजुटता का परिचय दिया और देश के उत्तरी हिस्से और ग्रामीण इलाक़ों के समुदायों ने तेहरान से आ रहे लोगों की मेज़बानी की.स्टेफ़ान प्रीसनर ने कहा कि स्वास्थ्य सैक्टर में जो क्षति हुई है उसकी भरपाई करने के लिए क़दम उठाए जाने होंगे.पिछले वर्ष, यूएन कार्यक्रमों का बजट क़रीब 7.5 करोड़ डॉलर था, जिसमें से दो-तिहाई धनराशि के ज़रिए 35 लाख शरणार्थियों या शरण जैसी परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर आबादी तक मदद पहुँचाई गई.ईरान पिछले चार दशकों से विशाल संख्या में शरणार्थियों का मेज़बान रहा है, जिनकी स्वास्थ्य, शिक्षा समेत अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इरादे से समावेशी नीतियों को अपनाया गया है. यूएन एजेंसियों ने इन प्रयासों को अपना समर्थन दिया है.इसके अलावा, इस बजट धनराशि को जलवायु अनुकूलन और प्रवासन से जुड़े कार्यों के लिए आवंटित किया जाता है.रैज़ीडेंट कोऑर्डिनेटर प्रीसनर ने कहा कि ईरान में बच्चों, बुज़र्गों, महिलाओं, विकलांगजन समेत सर्वाधिक निर्बल समूहों को समर्थन देने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी.यूएन अधिकारी ने ईरान-अफ़ग़ानिस्तान के ज़रिए बड़ी संख्या में शरणार्थियों द्वारा स्वेच्छा से या फिर देश निकाला दिए जाने की वजह से लौटने के समाचारों की पुष्टि की है.यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के अनुसार, 26 जून को 36 हज़ार से अधिक अफ़ग़ान अपने देश लौटे, और 13 जून के बाद से वापिस लौटने वाले लोगों की संख्या में तेज़ी आई है.अफ़ग़ान शरणार्थियों की व्यथाइससे पहले, अफ़ग़ानिस्तान में यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रतिनिधि अराफ़ात जमाल ने यूएन न्यूज़ को बताया कि हर दिन, अफ़ग़ानिस्तान-ईरान की सीमा पर पहुँचने वाली बसों से हताश, थके हुए अफ़ग़ान परिवार पहुँच रहे हैं.उनके अनुसार, बहुत से लोग जिस देश में वापिस लौट रहे हैं, वे उसके बारे में बहुत कम जानते हैं और उन्हें लम्बा समय ईरान में बिताने के बाद, जबरन देश से बाहर कर दिया गया है.ईरान और इसराइल के बीच हाल के दिनों में युद्ध के हालात से वापिस लौटने वाले अफ़ग़ान शरणार्थियों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, जबकि धन कटौती के कारण मानवीय सहायता प्रयास चुनौतीपूर्ण हो गए हैं.UNHCR प्रतिनिधि ने कुछ ही दिन पहले सीमावर्ती इलाक़े इस्लाम क़ला पर जाकर हालात का जायज़ा लिया. अतीत में हर दिन क़रीब पाँच हज़ार अफ़ग़ान अपने देश वापसी कर रहे थे, मगर हाल के दिनों में यह संख्या प्रति दिन 30 हज़ार तक पहुँच गई.यूएन एजेंसी प्रतिनिधि ने बताया कि अफ़ग़ान शरणार्थी व शरण तलाश रहे लोग एक निर्धन, वंचित देश में लौट रहे हैं, जोकि उन्हें समर्थन देने में सक्षम नहीं है.

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