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ग़ाज़ा: भोजन पाने की तलाश में जुटे लोगों की गई जान, स्वास्थ्य सेवाओं पर भीषण दबाव

 - World News in Hindi

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को आगाह किया है कि ग़ाज़ा में स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर है. खाद्य वितरण केन्द्रों पर सहायता पाने के लिए जुटे लोगों के गोलीबारी में मारे जाने और घायल होने की घटनाओं से स्वास्थ्य सेवाओं पर निरन्तर दबाव है. आपात मामलों के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में अधिकारी डॉक्टर थानोस गैरगैवेनिस ने ग़ाज़ा से जानकारी देते हुए बताया कि WHO टीम अपनी स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदा क्षमता और पूर्ण आपदा के बीच एक बेहद नाज़ुक मार्ग पर चल रहे हैं.इस बीच, दक्षिणी ग़ाज़ा के ख़ान युनिस में मंगलवार को भोजन पाने की कोशिशों में एकत्र हुए फ़लस्तीनियों के मारे जाने की ख़बर है. Tweet URL

क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में WHO प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने बताया कि ख़ान युनिस में सैकड़ों लोगों के हताहत होने के बाद, वहाँ स्थित नासेर मेडिकल कॉम्पलेक्स पर भीषण दबाव है.डॉक्टर पीपरकोर्न ने कहा कि ग़ाज़ा में स्वास्थ्य सेवाएँ कठिनाई से ही उपलब्ध हो पा रही हैं और वहाँ तक पहुँच पाना भी एक चुनौती है. ग़ाज़ा के 80 फ़ीसदी इलाक़े में फ़िलहाल जगह खाली करने के आदेश प्रभावी हैं.डॉक्टर गैरगैवेनिस ने कहा कि मानवीय सहायता उद्देश्यों के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है, जिससे हर बीते हुए दिन के साथ स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना कठिन होता जा रहा है.नासेर मेडिकल केन्द्र ग़ाज़ा में सबसे बड़े अस्पतालों में हैं, मगर इसराइली सैन्य बलों ने 12 जून को जिस इलाक़े को खाली करने के लिए आदेश जारी किया था, यह अस्पताल वहीं स्थित है.इस अस्पताल के नज़दीक अल-अमाल अस्पताल में पहले से मौजूद मरीज़ों को स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराई जा रही हैं, मगर सैन्य कार्रवाई की वजह से नए मरीज़ों को भर्ती नहीं किया जा रहा है.ईंधन क़िल्लत का असरग़ाज़ा में स्थित 36 अस्पतालों में से केवल 17 में हीं आंशिक रूप से स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं. लेकिन मेडिकल सामान की कमी है और 100 दिनों से अधिक समय से ग़ाज़ा में ईंधन की आपूर्ति नहीं हुई है.इसराइल ने ग़ाज़ा में मानवीय सहायता आपूर्ति पर सख़्ती लागू की हुई है, जिससे फ़लस्तीनी लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर किसी तरह से मदद पाने की कोशिशों में जुटे हैं.डॉक्टर पीपरकोर्न ने बताया कि अल मवासी में रैड क्रॉस के फ़ील्ड अस्पताल में 200 मरीज़ पहुँचाए गए, जोकि किसी एक घटना में हताहतों की सबसे बड़ी संख्या है. इनमें से 28 को मृत घोषित कर दिया गया.इसके एक दिन पहले ही, 15 जून को खाद्य वितरण केन्द्र पर हुई एक अन्य घटना में इसी अस्पताल के 170 मरीज़ों को भर्ती कराया गया था.यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने सचेत किया है कि यूएन की भागेदारी के बिना संचालित खाद्य वितरण व्यवस्था में बार-बार बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने की घटनाएँ हो रही हैं.निजी सहायता योजना से उपजी चुनौतीमई महीने के अन्तिम दिनों से, इसराइल और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र और उसके साझेदार संगठनों को दरकिनार करके, ग़ाज़ा मानवतावादी फ़ाउंडेशन के फ़्रेमवर्क के तहत सहायता वितरण व्यवस्था शुरू की है. इसमें निजी सैन्य कॉन्ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है.यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि इन केन्द्रों पर जुटे लोगों और रफ़ाह, ख़ान युनिस और अन्य इलाक़ों में बड़ी संख्या में हताहत होने वाले लोगों में सम्बन्ध है.संगठन के अनुसार, यह बता पाना कठिन है कि इन घटनाओं के लिए कौन ज़िम्मेदार है, मगर यहाँ गोली लगने से घायल हुए मरीज़ों को लाया जा रहा है और कुछ मामले छर्रों से घायल होने के भी हैं.संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि इस नई वितरण व्यवस्था, मानवता, निष्पक्षता, स्वतंत्रता और तटस्थता के मानवतावादी सिद्धान्तों से मेल नहीं खाती है. साथ ही, ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति पर थोपी गई सख़्तियों को भी हटाने की अपील की गई है.

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