लीबिया में सरकारी और गै़र-सरकारी हिरासत केन्द्रों से बड़ी संख्या में शव बरामद हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क़ ने क्षोभ जताया है कि ये भयावह घटना, इन केन्द्रों पर हो रहे उत्पीड़न और यातना के विषय में पहले से जताई जा रही आशंकाओं को सही साबित करती है.
उच्चायुक्त टर्क़ ने कहा, "हमारी सबसे गहरी आशंकाएँ अब सच होती दिख रही हैं. इन केन्द्रों से कई शव मिले हैं. साथ ही, वहाँ यातना और दुर्व्यवहार में इस्तेमाल होने वाले औज़ार भी पाए गए हैं, और कुछ साक्ष्य ऐसे भी हैं जो न्यायिक प्रक्रिया से इतर की गई हत्याओं की ओर इशारा करते हैं."लीबिया में जिन केन्द्रों से ये शव मिले हैं, वे एक स्थानीय सशस्त्र समूह द्वारा संचालित किए जाते हैं, जिसे राजधानी त्रिपोली में सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी दी गई थी.
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संयुक्त राष्ट्र में लीबिया सहायता मिशन (UNSMIL) और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने लम्बे समय से इन स्थानों पर यातना दिए जाने और लोगों को जबरन ग़ायब किए जाने के मामलों का सन्देह व्यक्त किया है.वोल्कर टर्क़ ने इन केन्द्रों को सील करने और फ़ोरेंसिक जाँच कराए जाने की माँग की है, ताकि दोषियों की पहचान हो और उनकी जवाबदेही तय की जा सके.लीबिया पिछले 15 वर्षों से अस्थिरता का सामना कर रहा है, जब मुआम्मर ग़द्दाफ़ी की सरकार का पतन हुआ और 2014 में दो प्रतिद्वंद्वी प्रशासनिक व्यवस्थाओं में टकराव हुआ: त्रिपोली में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एकता सरकार और बेनग़ाज़ी में राष्ट्रीय स्थिरता सरकार (GNS).संयुक्त राष्ट्र ने देश को एकजुट करने और लोकतांत्रिक शासन की दिशा में ले जाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वे अब तक असफल रहे हैं.80 से अधिक शव बरामदमई में, हथियारबन्द गुट के प्रमुख अब्दुल ग़नी अल-कीकली की मौत के बाद सशस्त्र गुटों और सरकारी सुरक्षा बलों के बीच झड़पें शुरू हो गईं. त्रिपोली में हिंसा के विरोध में प्रदर्शन भी हुए, जिनमें नागरिकों की मौत हुई और अस्पतालों सहित बुनियादी ढाँचे को नुक़सान पहुँचा.हिंसा के बाद अबू सलीम क्षेत्र में स्थित इस गुट के मुख्यालय से 10 जली हुई लाशें बरामद हुईं. इसके अलावा, अबू सलीम और अल-ख़दरा अस्पतालों में 67 शव मिले, जो अस्पताल के रेफ़्रिरिजरेटर में सड़ते हुए पाए गए.संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने यह भी बताया है कि हथियारबन्द गुट द्वारा संचालित त्रिपोली चिड़ियाघर में एक क़ब्रिस्तान भी मिला है. फ़िलहाल, शवों की पहचान नहीं हो सकी है.मानवाधिकारों का घोर उल्लंघनलीबिया में यह पहली बार नहीं है जब सामूहिक क़ब्र मिली हों. फ़रवरी में जाख़र्राह और अल-कुफ़रा क्षेत्रों में दो सामूहिक क़ब्रें मिलीं, जिनमें क्रमशः 10 और 93 शव बरामद हुए.इनमें से कई शव प्रवासियों के थे, जिन्हें मानव तस्करी, जबरन ग़ायब किए जाने और हत्या जैसी घटनाओं के जोखिमों का सामना करना पड़ता है.अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ((IOM) के अनुसार, केवल 2024 में ही लीबिया में एक हज़ार से अधिक प्रवासियों की मौत या उनके ग़ायब होने की घटनाएँ दर्ज की गई हैं.मानवाधिकार उच्चायुक्त ने, न केवल त्रिपोली में हाल ही में मिले शवों और उनसे जुड़ी मानवाधिकार हनन की घटनाओं पर चिन्ता जताई, बल्कि बीते महीने के अन्त में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान अत्यधिक बल प्रयोग की भी निन्दा की.जवाबदेही तय होत्रिपोली स्थित अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एकता सरकार ने सरकारी सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन मामलों की जाँच के लिए दो समितियों के गठन की घोषणा की है.हालाँकि, OHCHR प्रमुख ने इस पहल को सराहा है, लेकिन चिन्ता भी जताई कि फॉरेंसिक जाँच से जुड़े अधिकारियों को इन स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है, जिससे सबूतों को सुरक्षित रखने में बाधा आ रही है.उन्होंने लीबियाई प्रशासन से अपील की कि हाल ही में मिले इन स्थलों को तत्काल सील किया जाना होगा और जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी होगी. "इन जघन्य अपराधों के ज़िम्मेदार लोगों को बिना किसी देरी के, अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए."मानवाधिकार उच्चायुक्त ने यह भी आग्रह किया कि सभी सम्बन्धित पक्ष एक बार फिर लीबिया को समावेशी लोकतंत्र की ओर ले जाने के प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध हों, ताकि अस्थाई समझौतों के इस चक्र को समाप्त किया जा सके.उन्होंने कहा, "लीबिया की जनता ने स्पष्ट रूप से सच व न्याय की माँग की है. वे एक ऐसे शान्तिपूर्ण और सुरक्षित जीवन की आकाँक्षा रखते हैं जिसमें मानवाधिकार और स्वतंत्रताएँ सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर हों."
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