ग़ाज़ा पट्टी में व्याप्त चिन्ताजनक हालात के बीच, वहाँ तुरन्त, स्थाई युद्धविराम की पुकार लगाने वाले एक प्रस्ताव का मसौदा, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वीटो अधिकार का इस्तेमाल किए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित हो पाने में विफल रहा.
बुधवार को अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गयाना, पाकिस्तान, पनामा, कोरिया गणराज्य, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया ने सुरक्षा परिषद में इस मसौदे को पेश किया था.इन 10 देशों के अलावा, सुरक्षा परिषद के चार स्थाई देशों – ब्रिटेन, फ़्राँस, रूस, चीन -- ने प्रस्ताव के पक्ष में मत डाले, मगर अमेरिका ने इसे रोकने के लिए अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल किया.
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सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के पास वीटो शक्ति है, जोकि एक नकारात्मक वोट है, जिसे इस्तेमाल करने के बाद कोई प्रस्ताव पारित होने की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाता है.प्रस्ताव के मसौदे में यह मांग की गई थी कि ग़ाज़ा में तुरन्त, बिना किसी शर्त के, स्थाई युद्धविराम लागू किया जाए, और हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों द्वारा बन्धक बनाकर रखे गए लोगों को तुरन्त, गरिमामय ढंग से, बिना किसी शर्त के रिहा किया जाए.साथ ही, ग़ाज़ा में विनाशकारी मानवीय हालात पर गम्भीर चिन्ता भी जताई गई, जोकि कई महीनों तक इसराइल द्वारा सहायता आपूर्ति पर पाबन्दी थोपे जाने से और ख़राब हुए हैं. कई इलाक़ों में अकाल व भुखमरी का ख़तरा है.अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मानमसौदे में ध्यान दिलाया गया था कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी व मानवाधिकार क़ानून समेत अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का अनुपालन, सभी पक्षों का दायित्व है.ग़ाज़ा में मानवीय सहायता के प्रवेश पर थोपी गई सभी पाबन्दियों को तत्काल हटाने और यूएन कर्मचारियों समेत मानवतावादियों को सुरक्षित, बेरोकटोक रास्ता मुहैया कराने पर बल दिया गया.मसौदे में मिस्र, क़तर, और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मध्यस्थता प्रयासों के लिए समर्थन व्यक्त किया गया, ताकि चरणबद्ध ढंग से युद्धविराम के फ़्रेमवर्क को फिर से बहाल किया जा सके.इस बीच, ग़ाज़ा में अमेरिका व इसराइल द्वारा समर्थित नई खाद्य वितरण व्यवस्था के नज़दीक अपनी जान गँवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है और मानवीय संकट गहरा रहा है. इस नई सहायता व्यवस्था में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ और अन्य मानवतावादी संगठन शामिल नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी संगठनों ने ग़ाज़ा में स्वास्थ्य सेवाओं के पूर्ण रूप से ध्वस्त होने और विस्थापितों की संख्या बढ़ने की भी आशंका जताई है.आपात राहत मामलों के लिए यूएन प्रमुख टॉम फ़्लैचर ने कहा कि दुनिया टकटकी लगाए देख रही है. फ़लस्तीनी लोग गोली झेल रहे हैं, उनकी जान जा रही है, वे घायल हो रहे हैं, जबकि वे केवल भोजन पाने की कोशिश कर रहे हैं.
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