भारत में झुलसा देने वाली गर्मी का मौसम करोड़ों लोगों के लिए एक चुनौती बन जाता है. इस साल भी, मई में राजधानी नई दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में पारा 50°C के नज़दीक पहुँच गया और उमस ने बेहाल कर दिया. पेड़ों की छाँव देने वाले फ़ुटपाथ, हवादार इमारतें, बस टर्मिनल की ठंडी छत, ऐसे कई स्वाभाविक उपाय हैं जिन्हें तपतपाते मौसम से लोगों को राहत दिलाने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है और इससे जलवायु चुनौती से निपटने में मदद भी मिल रही है. पिछले कई वर्षों से भारत में गर्मी का असर बेहद गम्भीर रहा है: ऊँचे तापमान की चपेट में आने से होने वाली मौतें, ताप लहरों की ख़बरें, और स्कूलों का बन्द होना आम हो गया है. गर्मी के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए यह ज़रूरी है कि स्वाभाविक, पर्यावरण अनुकूल शीतलन उपायों को प्रोत्साहन दिया जाए और बिना बिजली या मशीनों के उपयोग के वातावरण को ठंडा किया जाए.छायादार पेड़, हरित स्थल का निर्माण, ठंडे फ़र्श और सूरज की रौशनी को परावर्तित करना. बेहतर शहरी बसावट और प्रकृति-आधारित ये कुछ ऐसे ही समाधान हैं ताकि घर, इमारत या बाहर खुले में तापमान को कम रखा जा सके. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के भारत कार्यालय के प्रमुख, बालकृष्ण पिसुपति का कहना है कि, “सभी देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाना शुरू भी करें, तब भी तापमान में चरम उतार-चढ़ाव अब लम्बे समय तक बना रहने वाला है." "हम जिस स्तर की भीषण गर्मी देख रहे हैं, उससे निपटने के लिए भारत के लोगों को ऐसे उपायों की ज़रूरत है जो जलवायु संकट को और न बढ़ाएँ.”उन्होंने कहा कि यही वो समय है, जहाँ पर नैसर्गिक शीतलन तकनीकें (passive cooling) महत्वपूर्ण समाधान बन सकते हैं.'पैसिव कूलिंग' में ऊर्जा की ख़पत नहीं होती है और एयर कंडीशनिंग की तरह ये उपाय ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की वजह भी नहीं बनते हैं, जिससे जलवायु संकट और नहीं बढ़ता.स्वाभाविक शीतलन के क्षेत्र में भारत विश्व स्तर पर अग्रणी बनकर उभरा है, इन उपायों को राष्ट्रीय नीतियों और शहरी नियोजन में शामिल किया है, जिसमें से कई योजनाओं में UNEP ने अहम सहयोग प्रदान किया है. © UNEP India UNEP के नेतृत्व में, दिल्ली के व्यस्त कश्मीरी गेट अन्तरराज्यीय बस अड्डे की छत को “ठंडी छत” में बदलने की योजना आरम्भ की गई है. दिल्ली में छतों को ठंडा रखने के प्रयासभारत की राजधानी दिल्ली, दुनिया के सबसे गर्म महानगरों में से एक है. इस वर्ष मई की शुरुआत में ही यहाँ का तापमान 50°C तक महसूस हुआ. उमस ने लोगों को बेहाल कर दिया.UNEP के नेतृत्व में “Cool Coalition” नामक पहल के तहत, भारत सरकार के साथ मिलकर, दिल्ली के व्यस्त कश्मीरी गेट अन्तरराज्यीय बस अड्डे की छत को “ठंडी छत” में बदला जा रहा है.यह छत लगभग 1.5 लाख वर्ग फुट में फैली है और इसे ऐसी सतह से ढका जाएगा जो 80 फ़ीसदी तक सौर ऊष्मा को परावर्तित करेगी, जिससे हर दिन एक लाख यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद है.स्विट्ज़रलैंड की विकास एवं सहयोग एजेंसी के समर्थन से संचालित यह परियोजना दिल्ली के कमज़ोर वर्गों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ताप लहरों के प्रभाव को कम करने का हिस्सा है. © UNEP India UNEP के सहयोग से, भारत सरकार की किफ़ायती आवास योजना में प्राकृतिक वेंटिलेशन और इन्सुलेटेड दीवारों जैसे पैसिव कूलिंग उपाय जोड़े जा रहे हैं. सामाजिक योजना के तहत बने घरों का शीतलनभारत की प्रधानमंत्री आवास योजना–शहरी (PMAY) के तहत, अब तक लाखों परिवारों को सुरक्षित और किफ़ायती घर उपलब्ध करवाए गए हैं. हालाँकि, इन घरों में गर्मी से राहत आज भी एक बड़ी चुनौती है.UNEP अब इस योजना में प्राकृतिक उपायों से कमरों को हवादार बनाने और दीवारों पर ऐसे आवरण लगाने को प्रोत्साहन दे रहा है ताकि घरों की ठंडक बाहर न जाए.सरकार का लक्ष्य है 2029 तक एक करोड़ घर बनाने का है. इनमें स्वाभाविक शीतलन उपायों को शामिल करके, बिजली की खपत में 35 फ़ीसदी तक कमी आ सकती है, भीतर का तापमान 3°C तक घटाया जा सकता है, जिससे लोगों को साल में बड़ी अवधि के लिए, शीतलन उपायों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.तमिलनाडु में UNEP, कई सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे वित्तीय मॉडल तैयार कर रहा है, जिससे सरकारी आवासों में पैसिव कूलिंग को लागू करना आसान हो सके. © UNEP India यूनेप के नेतृत्व वाले 'कूल कोएलिशन' और तमिलनाडु राज्य सरकार ने साथ मिलकर चेन्नई में, किफ़ायती आवासीय परियोजना में छतों को ठंडा रखने के उपाय विकसित किए हैं. चेन्नई को गर्मी से प्रभाव से बचाने के प्रयासचेन्नई, दक्षिण भारत का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है जो हर साल मॉनसून से पहले भीषण लू की चपेट में आता है. घनी बस्तियाँ, ऊँची इमारतें, और हरित इलाक़ों की कमी से, 1.2 करोड़ की आबादी वाला इस शहर में लोग,चिलचिलाती गर्मी से जूझते हैं.UNEP की एक पहल के तहत शहर के सबसे गर्म हिस्सों की जानकारी जुटा करके (हीट मैपिंगः, स्थानीय अधिकारियों को जानकारी दी गई है कि प्राकृतिक तत्वों एवं स्वाभावित तकनीकों से किस तरह तापमान को घटाया जा सकता है.इन सिफ़ारिशों को अब चेन्नई के मास्टर प्लान में शामिल किया जा रहा है, जिससे तापमान 4°C तक घटाया जा सकता है और गर्मी से होने वाली बीमारियों में 15-30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है.इस परियोजना को स्विस एजेंसी, डेनमार्क सरकार, क्लीन कूलिंग पहल, और विश्व बैन्क का सहयोग मिला है.शहरी नियोजन को मज़बूती भारत में अभी भी अधिकाँश शहरों में हीट मैपिंग का कोई मानकीकृत या वैज्ञानिक तरीक़ा नहीं है, जोकि गर्मी से निपटने की योजना बनाने के लिए आवश्यक है.इस चुनौती से निपटने के लिए UNEP और साझेदार, केन्द्र व राज्य सरकारों के साथ मिलकर शहर के सबसे गर्म इलाक़ों की पहचान करने के लिए नई रणनीतियाँ विकसित कर रहे हैं. साथ ही ऐसे दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं, जिससे तापमान घटाने वाली परियोजनाओं में आपदा राहत कोष का इस्तेमाल किया जा सके.तमिलनाडु में गर्मी को आधिकारिक आपदा घोषित कर दिया गया है. UNEP के समर्थन से अब राज्य सरकार, स्कूलों, कारख़ानों और सरकारी आवासों में पैसिव कूलिंग के समाधानों की पहचान करके उनके कार्यान्वयन में लगी है.यह लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ.
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