संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को चेतावनी दी कि ग़ाज़ा में भोजन की कमी बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी आबादी को भुखमरी की ओर धकेल रही है. मानवीय सहायता आपूर्ति पर इसराइली सख़्तियों के कारण वहाँ गम्भीर खाद्य अभाव की स्थिति उपजी है. मौजूदा परिस्थितियों में, आम लोगों के लिए भोजन की दैनिक ख़पत अब उस न्यूनतम स्तर से भी नीचे पहुँच चुकी है, जो एक व्यक्ति के जीवित रहने के लिए ज़रूरी है.
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, मई 2025 तक एक सामान्य ग़ाज़ावासी औसतन सिर्फ़ 1,400 कैलोरी प्रतिदिन ले पा रहा है यानि जीवित रहने के लिए न्यूनतम मात्रा (2,300 कैलोरी) का सिर्फ़ 67 प्रतिशत, जिसकी एक स्वस्थ शरीर को ज़रूरत होती है.अक्टूबर 2023 से दिसम्बर 2024 के अन्त तक, यह औसत दैनिक कैलोरी ख़पत 1,510 रही, जो कि न्यूनतम सलाह मात्रा का केवल 72 प्रतिशत है.
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FAO ने कहा, "ये नतीजे दर्शाते हैं कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून दोनों का व्यवस्थित ढंग से उल्लंघन बढ़ता जारहा है, ख़ासतौर पर पर्याप्त भोजन के अधिकार, युद्ध में भुखमरी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की मनाही, और सशस्त्र टकरावों में नागरिकों की सुरक्षा के सन्दर्भ में…"भूख और कुपोषण FAO का अनुमान है कि 11 मई को, जब इसराइल द्वारा 2 मार्च से पूर्ण मानवीय सहायता अवरोध लागू था, प्रति व्यक्ति औसतन केवल 1470 कैलोरी की ही ऊर्जा प्राप्त हो रही थी. और यह एक आशावादी आकलन है, हालात इससे भी ख़राब हो सकते हैं.यूएन एजेंसी ने बताया कि, "इसका भूख और कुपोषण पर बेहद गम्भीर असर पड़ रहा है, ख़ासकर उन परिवारों पर जिनके पास न तो नक़दी है और न ही कोई सक्षम पुरुष सदस्य. साथ ही, इस संकट से बच्चे, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ, विकलांग व्यक्ति और बुज़ुर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं."यह विश्लेषण ग़ाज़ा में गहराते भूखमरी संकट को लेकर पिछले महीने जारी की गई उन गम्भीर चेतावनियों की पुष्टि करता है, जो संयुक्त राष्ट्र समर्थित खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों ने जारी की थीं. ये चेतावनी इस बात पर आधारित थीं कि ग़ाज़ा में आटा, दालें, चावल, दूध और खाद्य तेल जैसी मूलभूत चीज़ें उपलब्ध नहीं हैं.एजेंसी ने आगाह किया कि जब तक ग़ाज़ा में पहले से स्थापित मानवतावादी संगठनों को पर्याप्त मात्रा में राहत सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं दी जाती, तब तक वहाँ की पहले से ही बेहद ख़राब स्थिति और भी ज़्यादा भयावह हो सकती है.संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसराइल से मानवीय सहायता को बड़ी मात्रा में ग़ाज़ा में प्रवेश की अनुमति देने के आग्रह के बावजूद हालात नहीं बदले हैं. उनकी यह अपील अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा दिए गए बाध्यकारी आदेशों के अनुरूप थी, जिसमें इसराइल को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र के साथ पूर्ण सहयोग करे और बिना किसी देरी के ग़ाज़ा के लोगों तक राहत पहुँचाई जाए.11 हज़ार लोग अब भी लापता ग़ाज़ा की वर्तमान आबादी लगभग 21 लाख रह गई है, जबकि अक्टूबर 2023 में युद्ध शुरू होने से पहले यह 22.3 लाख थी. यह गिरावट हमास के नेतृत्व में इसराइल पर हुए आतंकी हमलों के बाद शुरू हुए युद्ध की वजह से हुई है.FAO ने फ़लस्तीनी अधिकारियों के हवाले से बताया कि 30 अप्रैल 2025 तक, 52 हज़ार 400 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं, और 11 हज़ार लोग अब भी लापता हैं, जिन्हें संभवतः मलबे के नीचे दबा हुआ माना जा रहा है.युद्ध के दौरान ग़ाज़ा में 60 हज़ार से अधिक बच्चों का जन्म हुआ है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि "अक्टूबर 2023 से अब तक, कितने लोग प्राकृतिक कारणों से या युद्ध के अप्रत्यक्ष प्रभावों जैसे भूख, इलाज न होने वाली बीमारियों या चोटों के कारण मारे गए, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है."FAO के अनुसार, ग़ाज़ा की पूरी आबादी को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2,100 कैलोरी देने के लिए 2,297 टन खाद्य सामग्री यानि रोज़ाना लगभग 120 ट्रकों की आवश्यकता है.लेकिन बुधवार को, जब संयुक्त राष्ट्र की टीमों ने केरेम शलोम सीमा के ज़रिए 130 ट्रकों से राहत सामग्री भेजने की अनुमति मांगी, तो इसराइल ने केवल 50 ट्रकों को स्वीकृति दी, और उनमें भी सिर्फ़ आटा लदा हुआ था.
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