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ग़ाज़ा: गन्दगी, कूड़े के ढेर और बीमारी से त्रस्त, विस्थापित फ़लस्तीनी आबादी

 - World News in Hindi

ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े में, झुलसा देने वाली गर्मी, सीवर की फैली गन्दगी और कूड़े-कचरे के ढेर के बीच, विस्थापित परिवारों के समक्ष एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है. मगर, मानवीय सहायता की आपूर्ति पर थोपी गई इसराइली पाबन्दी बरक़रार है और सामान भी समाप्त होता जा रहा है. फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) में आपात मामलों की वरिष्ठ अधिकारी लुइस वॉटरिज ने यूएन न्यूज़ को बताया कि ग़ाज़ा के अल मवासी में तटीय इलाक़े में कामचलाऊ शिविर बनाए गए हैं.इन शिविरों में गन्दगी भरे माहौल में शरण लेने वाले परिवारों के पास कोई विकल्प नहीं है और मौजूदा हालात तेज़ी से बिगड़ते जा रहे हैं. Tweet URL

लुइस वॉटरिज ने कहा कि कुपोषित बच्चे व परिवार, महीनों से जारी युद्ध से बुरी तरह थक चुके हैं. उन्हें निरन्तर गर्मी, गंदगी, स्वच्छ जल के भाव और स्वास्थ्य देखभाल की सीमित सुलभता से जूझना पड़ रहा है.कूड़ा-कचरा, नियंत्रण से बाहर है. सीवर, चूहे, कीड़े-मकोड़े उन स्थानों पर नज़र आ रहे हैं, जहाँ लोगों ने फ़िलहाल शरण ली हुई है.जैसे-जैसे दिन गर्म होते जा रहे हैं, बीमारी फैल रही हैं. यहाँ उपचार के लिए पर्याप्त दवाएँ नहीं हैं.UNRWA की टीम साफ़-सफ़ाई सुनिश्चित करने के इरादे से स्वच्छता अभियान में जुटी हैं, मगर उनके पास संसाधनों की क़िल्लत है. “उनके पास क़रीब 10 दिनों के लिए ही कीटनाशक दवा बची है. आपूर्ति ख़त्म होती जा रही है.”मानवीय सहायता के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) के अनुसार, अपशिष्ट प्रबन्धन, जल आपूर्ति और सीवर व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी 30 से अधिक वाहन, 21-22 अप्रैल के दौरान इसराइली बमबारी में ध्वस्त हो गए.पिछले एक सप्ताह में, बमबारी की कम से कम 23 घटनाओं में विस्थापितों के लिए बनाए गए टैंट भी चपेट आए, जिनमें महिलाओं, बच्चों और विकलांगजन समेत आम नागरिक मारे गए हैं.स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबावयूएन कार्यालय ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा पट्टी में स्वास्थ्य प्रणाली का दरकना जारी है.जिन स्वास्थ्य केन्द्रों में देखभाल सेवाएँ मुहैया कराई जा रही हैं, उनमें से क़रीब आधी ऐसे इलाक़ों में हैं, जहाँ इसराइली सेना ने जगह खाली करने के आदेश जारी किए हैं.इससे ज़रूरतमन्द समुदायों के लिए इन केन्द्रों तक पहुँच पाना मुश्किल साबित हो रहा है. साथ ही, दवाओं, उपकरण और चिकित्साकर्मियों की भी क़िल्लत है.एक अनुमान के अनुसार, 15 अप्रैल तक, 4.20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. बड़ी संख्या में लोग दूसरी या तीसरी बार विस्थापन के लिए मजबूर हुए हैं.ग़ाज़ा में पिछले 52 दिनों से अति-महत्वपूर्ण मानवीय सहायता सामग्री ने प्रवेश नहीं किया है. 15 से 21 अप्रैल के दौरान, मानवीय सहायता पर लक्षित लगभग 50 फ़ीसदी गतिविधियों को या तो अनुमति नहीं दी गई या फिर उन्हें नकार दिया गया.

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