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डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना

 - World News in Hindi

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने "भविष्य के डिजिटल नागरिक का सशक्तिकरण: एकीकृत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की ओर बढ़त" नामक विषय पर यूएन मुख्यालय में एक संगोष्ठि का आयोजन किया, जिसमें देश की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (ढाँचा) (DPI) यात्रा को, वैश्विक उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया. यूएन महासभा अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग सहित सभी प्रतिभागियों ने, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निन्दा की, और हमले में मारे गए नागरिकों व शोक-सन्तप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की. संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष फिलेमॉन यैंग ने, गुरूवार को भारतीय मिशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कहा है कि दुनिया भर में आज भी लगभग 2 अरब 60 करोड़ लोग इंटरनैट से वंचित हैं, जिनमें विशेष रूप से निम्न-आय वाले देशों की महिलाएँ और लड़कियाँ शामिल हैं. तकनीकी विकास की तेज़ गति के बावजूद, डिजिटल पहुँच में असमानता, वैश्विक असन्तुलन को बढ़ा रही है.फ़िलेमॉन यैंग ने "भविष्य की पीढ़ियों के डिजिटल सशक्तिकरण और सरकार व औपचारिक अर्थव्यवस्था में नागरिकों की भागेदारी" विषय पर आयोजित इस संगोष्ठि को सम्बोधित करते हुए, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (ढाँचा) - DPI में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और समावेशी डिजिटल पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में किए गए कार्यों की सराहना की.उन्होंने भारत की U-WIN स्वास्थ्य पहल का विशेष उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे यह पहल, महिलाओं और बच्चों के लिए डिजिटल सेवाएँ सुलभ बना रही है.फ़िलेमॉन यैंग ने वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट को लागू करने की भी अपील की, जो समावेशी, सुरक्षित और मानवाधिकार-आधारित डिजिटल स्थान सुनिश्चित करने का ढाँचा व मार्ग मुहैया कराता है.उन्होंने डिजिटल विश्वास, सूचना की शुचिता (साख़) की रक्षा, मानवाधिकारों के संरक्षण और इंटरनैट प्रशासन को मज़बूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.फ़िलेमॉन यैंग ने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रशासन पर वैश्विक संवाद और स्वतंत्र वैज्ञानिक पैनल की स्थापना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि केवल संयुक्त राष्ट्र ही, AI जैसे शक्तिशाली उपकरण के लिए, समावेशी वैश्विक नीति बना सकता है.उन्होंने सभी देशों से डिजिटल तकनीकों को सुलभ, सुरक्षित और भरोसेमन्द बनाने के लिए, सहयोग बढ़ाने की अपील की, ताकि कोई भी पीछे न छूटे.इस कार्यक्रम में वैश्विक नेताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रौद्योगिकी दूत अमनदीप सिंह गिल, भारत सरकार के इलैक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी शामिल थे.इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग यहाँ देखी जा सकती हैछ भारत के DPI मॉडल की सराहनासंयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रौद्योगिकी दूत अमनदीप सिंह गिल ने इस संगोष्ठि में बताया कि DPI किस तरह, समावेशन को बढ़ावा देने, डिजिटल बदलाव को व्यापक बनाने और सरकारी सेवाओं को अन्तिम छोर तक पहुँचाने में मददगार साबित हो रहा है.उन्होंने विशेष रूप से भारत के DPI मॉडल की सराहना की, जिसे अब दुनिया के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण माना जा रहा है.उन्होंने यह भी बताया कि ब्राज़ील, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ़्रीका जैसे देशों में भी, अब इस दिशा में कई सफल प्रयोग देखने को मिल रहे हैं.अमनदीप सिंह गिल ने कहा कि आज DPI को स्वास्थ्य, कृषि और अन्य सामाजिक-आर्थिक ढाँचों में एकीकृत किया जा रहा है, जिससे दूरदराज़ क्षेत्रों में भी सुलभ और असरदार सेवाएँ दी जा सकें.उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की सम्भावनाओं पर भी बात की और कहा कि AI के विकास के लिए, डेटा सबसे महत्वपूर्ण आधार है. भारत का DPI जिस प्रकार भुगतान, टैक्स और पहचान से सम्बन्धित डेटा को सुव्यवस्थित और सुलभ बनाता है, वह AI तकनीकों को प्रशिक्षित करने और स्थानीय समस्याओं के लिए समाधान तैयार करने में उपयोगी साबित हो सकता है.उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा तैयार किए गए "वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट" के माध्यम से, भारत, इंडोनेशिया, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका जैसे G20 देशों द्वारा दिए गए समर्थन को, अब 193 सदस्य देशों के लिए वैश्विक नीति का हिस्सा बनाया गया है. UN News/Mehboob Khan इसमें DPI में निवेश के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करने की बात कही गई है कि ये ढाँचे किसी को हाशिए पर नहीं धकेलें और मानवाधिकारों का पूरा सम्मान हो.उन्होंने कहा कि अफ़्रीका जैसे क्षेत्रों के पास यह अवसर है कि वे डिजिटल अर्थव्यवस्था को तेज़ी से विकसित करें और एकीकृत DPI के माध्यम से अन्तर-क्षेत्रीय व्यापार और डिजिटल उद्यमिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ.अमनदीप सिंह गिल ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि योरोपीय संघ की तरह जटिल संरचनाओं के बजाय, DPI-केन्द्रित सरल लेकिन मज़बूत मॉडल अपनाकर, वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ा जा सकता है.‘DPI’ की बढ़ती भूमिकाभारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने कहा कि बीते दशकों में सरकारें डिजिटल सेवा प्रदाता के रूप में एक नई भूमिका में उभरी हैं. दो साल पहले तक ‘डिजिटल सार्वजनक ढाँचा (DPI) शब्द आम नहीं था, लेकिन 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान इसका एक ढाँचा तैयार किया गया, जिसे सभी सदस्य देशों ने स्वीकार किया.उन्होंने कहा, “इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने सितम्बर 2023 में, 100 देशों में DPI लागू करने का लक्ष्य रखते हुए उच्च प्रभाव पहल ('High Impact Initiative')शुरू की. ‘50-in-5’ अभियान के तहत 50 देश अगले 5 वर्षों में, अपने DPI ढाँचे का कम से कम एक हिस्सा लागू करेंगे.”उन्होंने कहा, “DPI दरअसल एक ऐसा डिजिटल ढाँचा है जो सुरक्षित, साझा करने योग्य और एक-दूसरे से जुड़ा हो, ताकि लोगों को सार्वजनिक और निजी सेवाओं तक सरलता से पहुँच मिल सके.”उन्होंने बताया कि भारत की DPI यात्रा एक ज़मीनी स्तर से शुरू हुई है, जिसमें आधार, यूपीआई, जन-धन योजना, और मोबाइल फ़ोन के माध्यम से, डिजिटल समाधान तैयार किए गए हैं. इस पूरी प्रक्रिया में भारत की तकनीकी क्षमता, विशाल जनसंख्या, संस्थागत ढाँचा और राजनैतिक नेतृत्व की प्रतिबद्धता ने अहम भूमिका निभाई है.भारतीय राजदूत पी हरीश ने कहा कि भारत में आर्थिक असमानता, कम श्रम उत्पादकता, अनौपचारिक क्षेत्र में ज़्यादा रोज़गार, और वित्तीय सेवाओं तक सीमित पहुँच जैसी समस्याएँ भी रही हैं. DPI ने इन्हीं समस्याओं को हल करने की दिशा में एक आधार तैयार किया है.“इसके आलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भी, DPI की शक्ति को कई गुना बढ़ा रही है. कृषि के क्षेत्र में AI ने, 20 करोड़ किसानों को फ़सल निगरानी,कीट नियंत्रण, जल प्रबन्धन, फ़सल चक्र निर्धारण, बाज़ार तक पहुँच और सरकारी सहायता के लाभ के लिए सशक्त बनाया है.UPI से हर महीने 18 अरब का लेनदेनभारत सरकार में राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने संगोष्ठि में बताया कि भारत ने 2014 में ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान शुरू किया था, जिसका उद्देश्य देश को एक डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलना था. इस अभियान के तहत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (ढाँचा) यानि DPI की नींव रखी गई, जिसने आम नागरिकों को केन्द्र में रखकर शासन, सेवाएँ और सशक्तिकरण को सम्भव बनाया.उन्होंने बताया कि भारत में आधार, जन-धन योजना, यूपीआई, डिजिलॉकर, को-विन, ABHA और ONDC जैसे ओपन-सोर्स डिजिटल मंचों ने सेवा वितरण की परिभाषा ही बदल दी है.जितिन प्रसाद ने बताया कि UPI अब हर महीने 18 अरब लेनदेन कर रहा है, और को-विन ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को डिजिटल रूप से सफल बनाया. ABHA और ONDC जैसे नए प्लेटफॉर्म अब डिजिटल स्वास्थ्य और विकेन्द्रीकृत ई-कॉमर्स को नई दिशा दे रहे हैं.उन्होंने कहा, “भारत की का यह डीपीआई, अब वैश्विक पहचान बना रहा है. 18 से अधिक देश इसे अपनाने या अपनाने की प्रक्रिया में हैं. जी-20 के एजेंडे में भी इसे विशेष स्थान मिला है.

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