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बीजिंग । दुनिया के कुछ देशों द्वारा चीन के रक्षा बजट पर सवाल उठाए जाने के बीच चीन का मानना है कि वह शांति के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। उसका बजट किसी भी देश के लिए कोई खतरा या चिंता की बात नहीं है।
चीन का कहना है कि रक्षा खर्च की उचित वृद्धि बनाए रखना देश की सुरक्षा की गारंटी के लिए जरूरी है। साथ ही इसे चीन की विशेषता वाले सैन्य परिवर्तनों से भी मेल खाना चाहिए।
चीनी प्रवक्ता ने कहा कि 2016 से पहले चीन का रक्षा खर्च हर साल दोहरे अंकों की वार्षिक दर से बढ़ रहा था। लेकिन 2016 के बाद इसमें काफी कमी आयी है, अब यह एक अंक में आ चुका है। इसके साथ ही 2018 चीन का रक्षा खर्च जीडीपी का महज 1.3 प्रतिशत हिस्सा था। लेकिन इस दौरान कुछ प्रमुख विकसित देशों का रक्षा खर्च जीडीपी के 2 फीसदी से भी अधिक रहा।
चीन कहता है कि कोई एक देश अन्य देशों के लिए सैन्य खतरा है या नहीं है, इसके लिये प्रमुख रूप से इस देश की राजनयिक और रक्षा नीति को देखे जाने की आवश्यकता है। चीनी प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि चीन हमेशा शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, रक्षात्मक रक्षा नीति लागू करता है। चीन का सीमित रक्षा खर्च प्रभुसत्ता, सुरक्षा और प्रादेशिक अखंडता के लिए इस्तेमाल होता है, जो किसी भी देश के लिए खतरा नहीं है।
बीजिंग में पांच मार्च से होने वाले 13वीं एनपीसी के दूसरे पूर्णाधिवेशन का पहला संवादादाता सम्मेलन आयोजित हुआ। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए प्रवक्ता च्यांग ये सुइ ने जोर देते हुए कहा कि चीन का रक्षा खर्च सीमित है और यह किसी भी देश के लिए कोई खतरा नहीं है।
वहीं चीन के रक्षा बजट पर नजर डालें तो साल 2018 में रक्षा बजट पर 165.4 अरब डॉलर खर्च हुए। साल 2016 में चीन के बजट में 7.6 फीसदी का इजाफा हुआ, जबकि 2018 में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। अगर वैश्विक स्तर पर देखें तो समूचे विश्व ने 2017 के मुकाबले 2018 में 1.8 फीसदी अधिक रक्षा क्षेत्र में खर्च किया। यह राशि 1.67 खरब डॉलर थी। इस ग्रोथ में से आधा योगदान अमेरिका का रहा, जिसने 2017 के मुकाबले 2018 में पांच प्रतिशत अधिक खर्च किया।
दुनिया में रक्षा खर्च के मामले में टॉप 5 देश
दुनिया में रक्षा क्षेत्र में सबसे अधिक खर्च करने वाले देशों की सूची में अमेरिका पहले नंबर पर है, इसके बाद चीन, सऊदी अरब, रूस, भारत, फ्रांस और ब्रिटेन हैं। अमेरिका ने साल 2017 में 610 अरब डॉलर का रक्षा बजट जारी किया । जो कि वैश्विक रक्षा बजट का 35 फीसदी था। वहीं 2018 में अमेरिका ने 643 अरब डॉलर का बजट पेश किया। जबकि चीन ने 165.4 अरब डॉलर रक्षा सेक्टर के लिए जारी किए। वहीं सऊदी अरब ने 82.9 अरब डॉलर, रूस ने 63.1 अरब डॉलर और भारत ने 57.9 अरब डॉलर रक्षा क्षेत्र में खर्च किए। इस तरह देखा जाय तो अमेरिका की तुलना में सऊदी अरब, चीन आदि देशों का रक्षा बजट काफी कम है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी स्टडीज(आईआईएसएस) की वार्षिक खर्च समरी के अनुसार 2017 में जहां अमेरिका ने अपने जीडीपी का करीब 3.1 फीसदी रक्षा क्षेत्र में खर्च किया, वहीं रूस ने अपनी जीडीपी का 4.6 प्रतिशत डिफेंस सेक्टर में लगाया। हालांकि चीन का रक्षा बजट कुल जीडीपी का 1.3 फीसदी था।
लेखक चाइना मीडिया ग्रुप में वरिष्ठ पत्रकार हैं
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