बीजिंग । इन दिनों में पेइचिंग में चल रहे चीनी जन प्रतिनिधि सभा के पूर्णाधिवेशन में मेड इन चाइना पर बार-बार विचारार्थ विषय बने हुए हैं । चीनी उद्योग व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री म्याओ वेई ने कहा कि वर्तमान में कुछ विकसित देशों में भूमंडलीकरण विरोधी तथा व्यापारिक संरक्षणवाद का रूझान उभरते जा रहे हैं । चीन अपनी मेड इन चाइना २०२५ रणनीति कायम कर भविष्य उन्मूख औद्योगिक पुनर्गठन और उन्नयन को बढ़ावा देगा ताकि बाजारों में साजोसामानों तथा औद्योगिक उत्पादन वस्तुओं के प्रति जरूरतों को पूरा किया जा सके । चीन के विकास का अनुभव सीखकर भारत ने भी मेक इन इंडिया की योजना बनायी है । विश्व बाजारों में भारतीय मालों की बिक्री और नाम उन्नत करने के लिए भारत सरकार ने भी विनिर्माण को संवर्द्धित करने का प्रयास किया है । आर्थिक मंदी की आम स्थिति में चीन और भारत दोनों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कर उच्च, स्मार्ट और हरित विनिर्माण करने की आवश्यकता है । कुछ भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापार संरक्षणवाद से वैश्वीकरण के लिये गंभीर खतरा है । विकसित देशों को चीन और भारत जैसे विकासमान देशों की उत्पादन वस्तुओं के प्रति निष्पक्षीय रुख उठाना चाहिये । [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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