नई दिल्ली। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के खिलाफ हिंसा बढ़ने की चेतावनी दी है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएफ ने कहा है कि अफगानिस्तान में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को खुफिया विभाग के बढ़ते उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
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आरएसएफ ने कहा है कि पत्रकारों को दी जाने वाली धमकियां, पूछताछ और मनमानी गिरफ्तारी बढ़ गई है। यह कार्रवाई अफगानिस्तान के प्रेस कानून का उल्लंघन है।
आरएसएफ के अनुसार, पिछले साल अगस्त में इस्लामिक अमीरात के सत्ता में आने के बाद से, कम से कम 50 पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से कई पत्रकारों को घंटों और कई पत्रकारों को तो लगभग एक सप्ताह तक हिरासत में रखा गया।
आरएसएफ के ईरान-अफगानिस्तान डेस्क के प्रमुख रेजा मोइनी ने कहा, कुछ विषयों को कवर करने से रोकने के लिए पत्रकारों की जुबान काटने की धमकी देना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों को गिरफ्तारी और यातना के स्थायी खतरे के बिना अपनी ड्यूटी करने में सक्षम होना चाहिए।
मोइनी ने कहा कि तालिबान की ओर से दी जानी वाली गैरकानूनी धमकियां अफगानिस्तान के मीडिया कानून का उल्लंघन तो करती ही हैं, साथ ही इससे समाचार और सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन हो रहा है और अब स्थिति और भी अधिक भयावह हो चुकी है।
आरएसएफ के अनुसार, तालिबान की कार्यवाहक सरकार की ओर से पिछले साल नवंबर में एक फरमान जारी किया था, जिसमें अफगानिस्तान में मीडिया के लिए कुछ नियमों को परिभाषित किया गया था।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) ने भी अफगानिस्तान में मीडिया की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 33 में पश्चिमी समर्थित सरकार के गिरने के बाद से कम से कम 318 मीडिया आउटलेट बंद हो गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, इस संकट ने अखबारों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है और अब 114 में से सिर्फ 20 का ही प्रकाशन जारी है। आईएफजे की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 51 टीवी स्टेशनों, 132 रेडियो स्टेशनों और 49 ऑनलाइन मीडिया आउटलेट्स ने संचालन बंद कर दिया है। (आईएएनएस)
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