कोलंबो । अपने निकटतम पड़ोसी भारत के दबाव के बीच, श्रीलंका ने चीन से दक्षिणी हंबनटोटा में चीनी नियंत्रित बंदरगाह पर विवादास्पद चीनी जहाज 'युआन वांग 5' के प्रवेश को टालने का आग्रह किया है। कोलंबो में चीनी दूतावास को लिखे एक पत्र में, श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने कहा, "मंत्रालय अनुरोध करना चाहता है कि हंबनटोटा में जहाज युआन वांग 5 के आगमन की तारीख को इस मामले पर आगे के परामर्श तक स्थगित कर दिया जाए।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
12 जुलाई को चीनी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह में प्रवेश करने की अनुमति देने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया था। श्रीलंका ने ईंधन भरवाने के लिए पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने की अनुमति देने की घोषणा की थी। हालांकि इसके तुरंत बाद भारत ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।
भारत के आपत्ति जताने के बाद श्रीलंका की रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने बीजिंग प्रशासन से कहा है कि वह अगली बातचीत तक अपने स्पेस सैटेलाइट ट्रैकर पोत युआंग वैंग-5 की हंबनटोटा बंदरगाह का दौरा स्थगित कर दें।
चीन को लीज पर दिए गए हंबनटोटा बंदरगाह पर युआंग वैंग-5 पोत ईंधन भरवाने और खाद्य आपूर्ति के लिए लंगर डालने वाला है, जिसके बाद उसके रवाना होने का कार्यक्रम निर्धारित है।
चीनी 'जासूसी' जहाज के दौरे से हफ्तों पहले भारत ने श्रीलंका सरकार से अपनी चिंता जाहिर की थी। भारत ने आगाह किया था कि वह चीनी 'रिसर्च' पोत के आगमन की पृष्ठभूमि में, उसकी सुरक्षा के संबंध में सभी घटनाओं पर बारीकी से नजर रखता है, जिसके 11 अगस्त को हंबनटोटा पहुंचने की योजना है।
1987 में हस्ताक्षरित एक द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, भारत के हितों के प्रतिकूल किसी भी देश द्वारा किसी भी श्रीलंकाई बंदरगाह को सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
भारत की चिंता के जवाब में, श्रीलंका ने पहले कहा था कि चीनी जहाज की यात्रा केवल 'ईंधन भरने और अन्य सुविधाओं' के लिए ही है।
इसके बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कैबिनेट प्रवक्ता और मीडिया मंत्री बंडुला गुणवर्ंडेना ने कहा था, "जहाज या उसके चालक दल के सदस्य श्रीलंका में किसी भी आंतरिक मामलों या व्यापार में शामिल नहीं होंगे। चीन और भारत ने हमेशा श्रीलंका को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सच्चे दोस्त के रूप में मदद की है।"
उन्होंने कहा था, "श्रीलंका सदियों से दोनों देशों के बीच मौजूद अच्छी समझ और विश्वास को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ भी नहीं करेगा। किसी भी परिस्थिति में श्रीलंका भारत या चीन के हितों के लिए हानिकारक नहीं होगा क्योंकि दोनों देशों ने जरूरत पड़ने पर श्रीलंका से मित्रता निभाई है और हर समय श्रीलंका के साथ खड़े रहे हैं।"
--आईएएनएस
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