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पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की स्थिति 'बदतर' हो रही, अमेरिकी निकाय ने की सख्त कार्रवाई की अपील

Situation of Pakistani minorities getting worse, US body appeals for strict action - World News in Hindi

न्यूयॉर्क । पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ 'बढ़ते धार्मिक और राजनीतिक भय, असहिष्णुता और हिंसा के माहौल' को देखते हुए, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से इस्लामिक गणराज्य के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है। आयोग ने अमेरिकी सरकार से आग्रह किया कि वह पाकिस्तानी अधिकारियों और एजेंसियों पर प्रतिबंध लगाए जो उस देश में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, उनकी संपत्तियां जब्त की जाएं और अमेरिका में उनके प्रवेश पर रोक लगाई जाए। धार्मिक स्वतंत्रता निकाय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से ईसाई, हिंदू, और शिया और अहमदिया मुस्लिम, पाकिस्तान के कठोर ईशनिंदा कानून के तहत उत्पीड़न का मुख्य शिकार बने रहे। वे पुलिस और भीड़ की हिंसा का सामना कर रहे हैं। ऐसी हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को शायद ही कभी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
इन बार-बार होने वाली घटनाओं का मुकाबला करने के लिए, आयोग ने सरकार से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान को 'विशेष चिंता का देश (सीपीसी)' के रूप में फिर से नामित करे, क्योंकि वहां धार्मिक स्वतंत्रता का व्यवस्थित, निरंतर और गंभीर उल्लंघन हो रहा है।
इसने सरकार से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान के लिए मौजूदा छूट को हटाए ताकि, सीपीसी के रूप में नामित होने के कारण कानूनी रूप से अनिवार्य कार्रवाइयां की जा सकें।
विभाग ने अतीत में इस्लामाबाद को छूट जारी करते हुए कहा था कि व्यापक रणनीतिक लक्ष्यों के लिए "रचनात्मक संबंध" बनाए रखना आवश्यक है।
यूएससीआईआरएफ ने पाया कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा के लिए ईशनिंदा कानून जिम्मेदार है और उसने सुझाव दिया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को कई कदम उठाने चाहिए।
इसमें कहा गया कि ईशनिंदा के आरोप और उसके बाद भीड़ द्वारा की गई हिंसा ने धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित करना जारी रखा है।
इसने अमेरिकी सरकार से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तानी सरकार के साथ अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक बाध्यकारी समझौता करे, जिसमें इस्लामाबाद को ईशनिंदा कानूनों को निरस्त करने और इन कानूनों या उनके धार्मिक विश्वासों के कारण कैद किए गए कैदियों को रिहा करने की आवश्यकता होगी।
यूएससीआईआरएफ के अनुसार, जब तक कानून निरस्त नहीं हो जाते, तब तक आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए। इसके अलावा, झूठे आरोप लगाने वालों पर देश की दंड संहिता के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
यह भी कहा गया कि पाकिस्तान को उन व्यक्तियों को भी जवाबदेह बनाना चाहिए जो हिंसा, टारगेट किलिंग, जबरन धर्मांतरण और धर्म आधारित अन्य अपराधों में भाग लेते हैं या उन्हें उकसाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ समूह की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यूएससीआईआरएफ ने कहा कि पाकिस्तान की अल्पसंख्यक ईसाई, हिंदू महिलाओं और लड़कियों का जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है।
आगे कहा गया कि विशेषज्ञों ने पाया कि स्थानीय अधिकारी अक्सर जबरन विवाह को खारिज कर देते हैं, जिसमें महिलाओं और लड़कियों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया जाता है और अदालत भी उन्हें वैध ठहराती है।
--आईएएनएस

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Web Title-Situation of Pakistani minorities getting worse, US body appeals for strict action
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