लंदन। आलोचकों ने बच्चों के लिए 2017 की सबसे प्रतिष्ठित किताबों में से एक ‘गुड नाइट स्टोरीज फॉर रेबल गल्र्स’ में से म्यांमार की नेता आंग सान सू ची के नाम को हटाने की मांग की है। इस किताब में उन महिलाओं की कहानियां हैं जिन्होंने अपने कारनामों से लड़कियों को प्रेरित किया और यथास्थिति को चुनौती दी। द गार्डियन की रविवार की रिपोर्ट में बताया गया है कि जब यह किताब लिखी गई थी तब सू ची को इसके योग्य समझा गया था जोकि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं और उत्पीडऩ के दौरान साहस की एक प्रतीक रही हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लेकिन, रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए जुल्म को लेकर उनकी प्रतिक्रिया की बहुत आलोचना की गई है और उन्हें भविष्य में किताब के सभी संस्करणों से बाहर करने की मांग की गई है। इसके जवाब में लेखक एलेना फाविली और फ्रांसेस्का कैवालो ने कहा, ‘‘हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और हम भविष्य के संस्करण से उनका नाम हटाने के विचार को पूरी तरह से खारिज नहीं कर रहे हैं।’’
किताब में सू ची के हवाले से कहा गया, ‘‘चूंकि हम इस दुनिया में रहते हैं, इसलिए हमें इस दुनिया के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।’’ किताब में सू की का अध्याय सैन्य शासन के खिलाफ उनके 21 वर्षों के विद्रोह की कहानी को दर्शाता है।
इस किताब से संबंधित फेसबुक पेज पर एक आलोचक ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘‘इस किताब का 99 प्रतिशत हिस्सा प्रेरणादायक है, मुझे इस बात से घृणा हुई कि आपने पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति को शामिल किया जिस पर नरसंहार कराने का संदेह है...इन महिलाओं के बीच सू की का कोई स्थान नहीं है। एक ऐसी इनसान जो कुछ नहीं करती और शायद नरसंहार, बलात्कार और बच्चों को जीवित जलाने जैसी घटनाओं में सीधे शामिल है...मैं अवाक हूं कि वह भी इस किताब में है।’’
एक अन्य अभिभावक ने लिखा, ‘‘इस किताब में ऐसी प्रेरणादायी महिलाओं की कहानियां हैं जो साबित करती हैं कि परेशानियों से निजात दिलाने के लिए किसी राजकुमार का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। मुझे यह देखकर हैरत और निराशा हुई कि इसी किताब में सू की को संत बताया जा रहा है। उम्मीद है कि प्रकाशक नया संस्करण जारी करेंगे...’’
ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सांसद यास्मीन कुरैशी ने रोहिंग्या संकट के बारे में संसद में चिंता जताई थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य है कि यह कैसे हो सकता है कि नागरिक अधिकारों के लिए लडऩे वाली सबसे प्रशंसित एवं सम्मानित एक ऐसे इनसान में बदल जाती है जिसमें करुणा की कमी हो।’’ म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के लिए लंबा संघर्ष करने वाली सू की नोबेल शांति पुरस्कार सहित 120 अंतर्राष्ट्रीय सम्मान अपने नाम कर चुकी हैं।
--आईएएनएस
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