न्यूयॉर्क। पाकिस्तान को अमरिका की ओर से दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगाने का कोई संबंध भारत पर हुए आतंकवादी हमलों या लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने में पाकिस्तान की विफलता से नहीं है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर नॉर्ट ने यह बात कही है। संवाददाता सम्मेलन में यहां यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका के इस कदम के पीछे भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद और सईद द्वारा मुंबई में 2008 में कराए गए आतंकवादी हमले भी कारण हैं, नॉर्ट ने कहा, ‘‘मेरी जानकारी के मुताबिक सहायता पर रोक लगाने का इससे कोई लेना-देना नहीं है।’’
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नॉर्ट ने कहा, ‘‘हमने निश्चित तौर पर 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड के पाकिस्तान में नजरबंदी से रिहा करने पर चिंता व्यक्त की थी। हमने उस व्यक्ति (सईद) के रिहा होने पर अपनी नाराजगी साफ तौर पर जाहिर की थी और हम लोगों को यह याद दिलाना चाहेंगे कि उसके लिए हमने एक करोड़ डॉलर का ‘न्याय के लिए पुरस्कार’ कार्यक्रम भी चलाया हुआ है।’’अमेरिकी को अफगानिस्तान में मौजूद अपने सैनिकों को कुछ समूहों द्वारा निशाना बनाए जाने की चिंता है।
नॉर्ट ने अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठनों का नाम लिया और कहा कि पाकिस्तान को सैन्य उपकरणों और सुरक्षा संबंधी निधियों के वितरण पर लगे प्रतिबंधों को हटाना है तो इन संगठनों के खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ करनी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘उन समूहों को पाकिस्तान के भीतर शरण मिलती रही है। वे लगातर अफगानिस्तान को अस्थिर करने की योजना बनाते रहे हैं और अमेरिका एवं उनके सहायेगियों पर हमला करते रहे हैं।’’
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