उमर नाम के एक छात्र ने कहा, मेरी नींद पूरी नहीं हो पा रही है। मैं सिगरेट
पीने लगा हूं। रोजगार की अनिश्चितता का असर अभी की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
लाहौर में न केवल पाकिस्तान, बल्कि विश्व के भी कुछ जाने-माने शिक्षण
संस्थान हैं। इसके बावजूद शहर के विद्यार्थियों में बेचैनी और हताशा का यह
आलम है। देश में अन्य जगहों की हालत का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है।
पंजाब यूनिवर्सिटी के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की छात्रा निमरा ने कहा,
सरकारी विश्वविद्यालयों के मुकाबले, शीर्ष के निजी विश्वविद्यालयों के
विद्यार्थियों को नौकरी मिल जाती है। मैंने कई जगहों पर नौकरी के लिए अर्जी
दी, लेकिन कहीं से जवाब नहीं आया। मैं गहरे डिप्रेशन का शिकार हो चुकी
हूं। अपनी सारी उम्मीदें अब मैं खो चुकी हूं। मैं गांव से यहां पढऩे के लिए
आई थी।
सोचा था कि पढक़र परिवार का सहारा बनूंगी लेकिन अब पढ़ाई पूरी होने
ही वाली है लेकिन काम कहीं से नहीं मिला। पंजाब यूनिवर्सिटी की मनोविज्ञानी
व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रफिया रफीक ने कहा कि करीब साठ फीसदी विद्यार्थी
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से गुजर रहे हैं।
(IANS)
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