ओमान। मध्य पूर्व में जारी उथल-पुथल के बीच ईरान और इसराइल के बीच बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हालिया घटनाक्रम में ओमान में प्रस्तावित अमेरिका-ईरान परमाणु वार्ता रद्द कर दी गई है। यह वार्ता संभावित रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किसी समझौते की दिशा में एक अहम क़दम हो सकती थी, लेकिन इसराइल और ईरान के बीच सैन्य धमकियों और कार्रवाई के बीच इसकी संभावनाएं ध्वस्त हो गई हैं।
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ओमान के विदेश मंत्री बद्र अल-बुसैदी ने घोषणा की कि रविवार (15 जून 2025) को मस्कट में होने वाली ईरान-अमेरिका वार्ता अब नहीं होगी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“इस रविवार को मस्कट में होने वाली ईरान-अमेरिका वार्ता अब नहीं होगी। लेकिन कूटनीति और बातचीत ही स्थायी शांति का एकमात्र रास्ता है।”
यह वार्ता ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने और प्रतिबंधों में राहत के बदले ईरान की जवाबदेही तय करने के अमेरिकी प्रयासों का हिस्सा थी। ओमान अब तक दोनों देशों के बीच एक "शांतिपूर्ण पुल" का कार्य करता रहा है। परंतु मौजूदा स्थिति में यह संवाद अब स्थगित हो गया है।
तनाव की वजह क्या बनी?
1. इसराइल की धमकी और सैन्य कार्रवाई
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने सीधे तौर पर ईरान को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा : “हम बर्दाश्त नहीं कर सकते कि ईरान 20 हज़ार मिसाइलों के उत्पादन की क्षमता विकसित करे। हमने उनकी उत्पादन क्षमता को बर्बाद करने के लिए कार्रवाई की है।”
नेतन्याहू का यह बयान साफ इशारा करता है कि इसराइल ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को क्षेत्रीय और वैश्विक खतरे के रूप में देखता है।
इसके अलावा उन्होंने एक बड़ा दावा भी किया : “बहुत जल्द आप तेहरान के आसमान में इसराइली विमान, इसराइली वायुसेना और हमारे पायलटों को देखेंगे।”
यह एक प्रत्यक्ष चेतावनी है – कि इसराइल ईरान की राजधानी तक हवाई हमले कर सकता है।
2. ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से फ़ोन पर बातचीत के दौरान कहा:
“ज़ायनिस्ट आक्रामकता जारी रही तो ईरानी सशस्त्र बल और कठोर तथा शक्तिशाली जवाब देंगे।”
यह बयान ईरान की “डिटरेंस पॉलिसी” यानी ‘आक्रामक रोकथाम’ रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पेज़ेश्कियान के तेवरों से साफ है कि ईरान अब पीछे हटने को तैयार नहीं है।
कूटनीतिक विश्लेषण: क्या परमाणु वार्ता फिर से शुरू होगी?
परमाणु वार्ता का रद्द होना अमेरिका-ईरान संबंधों में एक और गिरावट है। यह वार्ता 2015 के JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) की संभावित बहाली की दिशा में एक कदम मानी जा रही थी। लेकिन अब :
अमेरिका में चुनावी माहौल गरम है;
इसराइल-ईरान युद्ध की आशंका गहराती जा रही है;
और ईरान की नई सरकार राष्ट्रीय सम्मान को प्राथमिकता दे रही है।
इन सब कारणों से निकट भविष्य में औपचारिक परमाणु वार्ता का दोबारा शुरू होना बेहद मुश्किल दिखता है।
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