यंगून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी म्यांमार दौरे के दूसरे दिन यंगून पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने बुधवार शाम भारतीयों को संबोधित किया। मोदी ने यह रह रहे भारतीयों को कहा कि आप सभी देश के राजदूत है। उन्होंने कहा कि हम देश के हित में बड़े और कड़े फैसले लेने से जरा भी घबराते नहीं हैं, क्योंकि हमारे लिए दल से बड़ा देश है। चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो, या जीएसटी, या नोटबंदी हो हमने हर फैसला बिना डर और संकोच के लिया है। नोटबंदी के बाद ऐसे लोगों के बारे में पता चला है जिनके अकाउंट में करोड़ों रुपये जमा हैं लेकिन उन्होंने कभी इनकम टैक्स नहीं भरा। जितने व्यापारी टैक्स सिस्टम से 6 साल में नहीं जुड़े थे वह 2 महीने में जुड़े। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत में कहा कि अभी अभी आप सबने गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया है। ईद मनाई। आप सभी को इन त्योहारों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आशा करता हूं कि ये त्योहार आपके लिए बहुत सुख-समृद्धि और शांति लाएं। मैं आज आपके साथ यहां मौजूद रहकर बहुत खुश हूं। मेरी इच्छा थी कि हिस्टोरिकल शहर में आऊं। ऐसे शहर को देखूं जो अपनी विरासत के लिए दुनिया में मशहूर है और जिसका भारत के साथ सदियों पुराना नाता है। ऐसे लोगों से मिलूं जिन्होंने भारत और म्यांमार दोनों को अपने दिलों में समेटा हुआ है। मैें अपने सामने एक मिनी इंडिया के दर्शन कर रहा हूं। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से आए हुए लोग एक महान राष्ट्र के दिल में एक दूसरे महान राष्ट्र की धडक़न के रूप में जी रहे हैं।
आप लोगों से मिलकर मुझे और भी खुशी हो रही है, क्योंकि एक ही जगह मैं परंपराओं और सांस्कृतिक विरासतों को देख रहा हूं, जिन्हें गंगा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, बृह्मपुत्र और इरावती जैसी माताओं ने अपने आंचल में पाला है। हजारों सालों से भारत-म्यांमार की सीमाएं ही नहीं, बल्कि भावनाएं भी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। भारत में म्यांमार को ब्रह्मदेश या भगवान ब्रह्मा की धरती भी कहा जाता है। यही वो पवित्र धरती है, जिसने बुद्ध को सहेजा है। यहां के बौद्ध ग्रंथों और भिक्षुओं ने हिंदुस्तान के कोने-कोने में एक अटूट रिश्ते को पाला है। इस रिश्ते में धर्म, पाली भाषा और शिक्षा भी शामिल रहे हैं।
भारत को और विश्व को म्यांमार ने स्वर्गीय गोयनका जी के माध्यम से विपासना का उपहार दिया है। मुझे खुशी है कि उनके सुपुत्र आज हमारे बीच हैं। आज भी रामायण को यामा के नाम से और शिव को परभूजिओ और विष्णु को बिथानों कहते हैं। भारत के स्वंत्रता का इतिहास बिना म्यांमार को नमन किए पूरा नहीं हो सकता है। ये वो धरती है जहां से सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। उनका ये नारा सुनकर भारत को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करने वाले हजारों लाखों नौजवान आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। मोदी ने कहा सबका साथ, सबका विकास, जिस मंत्र पर हमारी सरकार चल रही है वह एक देश तक सीमित नहीं हैं।
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