चेन्नई| भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एस्ट्रोसैट अभिलेखीय डेटा का उपयोग करने और वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए देश के खगोल विज्ञान समुदाय से प्रस्ताव आमंत्रित किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को कहा कि अवसर की घोषणा (एओ) किसी भी ओपन सीमित वित्तीय सहायता के लिए सभी प्रयोगों से डेटा के उपयोग की दिशा में अनुसंधान प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए खुली है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
28 सितंबर 2015 को लॉन्च किया गया एस्ट्रोसैट खगोल विज्ञान के लिए समर्पित भारत का पहला उपग्रह है।
एस्ट्रोसैट एक मल्टीवैलिवल उपग्रह है जो ऑप्टिकल/यूवी से हार्ड एक्स-रे तक साफट एक्स-रे के साथ-साथ देखने में सक्षम है।
एस्ट्रोसैट में पांच वैज्ञानिक पेलोड लगाए गए थे। बहु-तरंगदैर्ध्य अवलोकन प्रक्षेपण के छह महीने बाद शुरू हुआ और अल्ट्रावायलेट से उच्च ऊर्जा एक्स-रे तक विश्व स्तरीय डेटा प्रदान करता है।
एस्ट्रोसैट डेटा 26 सितंबर, 2018 को जनता के लिए खोला गया था।
सभी पेलोड, अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (यूवीआईटी), सॉफ्ट एक्स-रे टेलीस्कोप (एसएक्सटी), बड़े क्षेत्र एक्स-रे आनुपातिक काउंटर (एलएएक्सपीसी), कैडमियम जिंक टेल्यूराइड (सीजेडटी) और स्कैनिंग स्काई मॉनिटर (एसएसएम) से डेटा दुनिया भर के उपयोगकर्ताओं के लिए खुले हैं।
भारत में विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक/अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत किए जा सकते हैं। केवल उन लोगों के लिए जो सेवानिवृत्ति से पहले चार साल की न्यूनतम शेष सेवा प्राप्त करते हैं, वे परियोजना के प्रधान अन्वेषक (पीआई) के रूप में नेतृत्व करने के लिए योग्य हैं।
--आईएएनएस
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