यह और आधिकारिक प्रतिक्रिया भारत को अमेरिका के 'सीएएटीएसए' (काउंटरिंग
अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट) से छूट प्राप्त होने की संभावना
दर्शा रही है, जिसे रूसी कंपनियों से हथियार खरीदने के लिए भारत पर लागू
किया जा सकता है। सीएएटीएसए देशों को इसके तहत सूचीबद्ध रक्षा रूसी
कंपनियों से 1.5 करोड़ डॉलर से अधिक के हथियार खरीदने पर रोक लगाता है।
अमेरिका
ने अभी तक नाटो के अपने साथी तुर्की के खिलाफ सीएएटीएसए प्रतिबंधों को
नहीं लगाया है, लेकिन इसे उन्नत एफ-35 लड़ाकू जेट देने से मना कर दिया है।
भारत इस समय अमेरिका से ऐसे उन्नत आयुध नहीं मांग रहा है।
राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी हालिया यात्रा के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप
तईप एर्दोगन को चेतावनी दी थी कि रूसी सौदा प्रतिबंधों के जोखिम को बढ़ाने
वाला है।
लेकिन अधिकारी ने कहा कि सीएएटीएसए प्रतिबंधों की समयसीमा
निर्धारित नहीं है या इसे निश्चित रूप से लागू किया जाना निर्धारित नहीं
है। अभी भी काफी गुंजाइश है, जिसे प्रतिबंधों के रूप में लागू किया जा सकता
है और प्रतिबंधों की व्यापकता और गहराई तुर्की पर लागू की जा सकती है।
अधिकारी
ने रक्षा आपूर्ति के लिए सोवियत संघ पर दशकों से निर्भर रहे भारत के इससे
दूर जाने पर उसके सामने पैदा हुई समस्याओं को लगता है कि महसूस किया है।
अधिकारी
ने कहा कि जब विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और एक अन्य अधिकारी ने नई दिल्ली
का दौरा किया था, तो हमें पता चला कि सोवियत संघ के पतन के समय भारत को
रक्षा हथियारों के लिए उस पर निर्भरता के कारण कितनी समस्याएं हुईं।
अधिकारी ने कहा कि भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी संबंधी लीकेज को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
(IANS)
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