दावोस। पिछले कुछ समय से मंदी से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी खबर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वर्ष 2019 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 4.8 फीसदी कर दिया है। गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में दबाव और ग्रामीण भारत में आय वृद्धि कमजोर रहने का हवाला देते हुए वृद्धि अनुमान घटाया गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) का सालाना शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात को लेकर बताते हुए आईएमएफ ने वैश्विक के साथ भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में संशोधन की जानकारी दी। इसी संस्था ने अक्टूबर में विकास दर 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि, अगले वित्त वर्ष से अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढऩे का अनुमान लगाया गया है।
यह 2020 में 5.8 प्रतिशत और 2021 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है। भारत में जन्मीं आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत में घरेलू मांग उम्मीद से हटकर तेजी से घटी है। इसका कारण एनबीएफसी में दबाव और कर्ज वृद्धि में नरमी है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2020 में 0.2 प्रतिशत बढक़र 6 प्रतिशत करने का अनुमान है। यह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के प्रभाव को बताता है।
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