नई दिल्ली/बीजिंग। नोवेल कोरोना वायरस के प्रकोप से घिरे चीन ने एक बार फिर गुरुवार को भारत के साथ एक शत्रुतापूर्ण मोर्चा खोल दिया है। बीजिंग ने अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा का दृढ़ता से विरोध किया है। चीन ने भारत को सीमा मुद्दे को पेचीदा करने के खिलाफ चेतावनी दी है। अरुणाचल प्रदेश 34 साल पहले 20 फरवरी को एक केंद्रशासित प्रदेश से पूर्ण राज्य बना था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह क्षेत्र 1913-14 में ब्रिटिश भारत का हिस्सा था और औपचारिक रूप से तब शामिल किया गया था, जब 1938 में भारत और तिब्बत के बीच सीमा के तौर पर मैकमोहन रेखा स्थापित हुई थी। अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत की संप्रभुता को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बीजिंग में मीडिया को बताया, चीनी सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी है और शाह की यात्रा का दृढ़ता से विरोध करते हैं।
दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत क्षेत्र का एक हिस्सा मानता है। इसलिए वह प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर अपनी आपत्ति जताता रहा है।
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