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तालिबान का झंडा फहराने पर लाल मस्जिद के मौलवी के खिलाफ मामला दर्ज

Case registered against Lal Masjid cleric for hoisting Taliban flag - World News in Hindi

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पुलिस ने इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (आईईए) का झंडा फहराने के लिए एक बेहद संवेदनशील मदरसा के प्रभावशाली कट्टरपंथी मौलवी के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

जाने-माने कट्टरपंथी मौलवी और तालिबान के मुखर समर्थक मौलाना अब्दुल अजीज ने इस्लामाबाद में महिलाओं के लिए एक धार्मिक स्कूल जामिया हफ्सा मदरसा पर तालिबान का झंडा फहराया।

जानकारी के अनुसार, मदरसे से झंडा हटाने से इनकार करने पर पुलिस ने अजीज के खिलाफ देशद्रोह और आतंकवाद का मामला दर्ज किया है। अधिक जानकारी से पता चला कि अजीज और उसके समर्थकों ने पुलिस को इमारत में प्रवेश करने से रोक दिया था। हालांकि बाद में राजधानी के उपायुक्त ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की कि झंडा हटा दिया गया है, इलाके को खाली करा लिया गया है और मौलवी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

तालिबान के लिए अजीज का खुला समर्थन एक खुले रहस्य की तरह ही है, क्योंकि 2007 में अल-कायदा के साथ घनिष्ठ संबंध रखने और जामिया हफ्सा और लाल मस्जिद में एक विद्रोही समूह का नेतृत्व करने के लिए उन्हें दो साल की जेल की सजा दी गई थी।

2007 में एक बड़ा ऑपरेशन किया गया था, जिसमें अजीज के छोटे भाई समेत दर्जनों लोग मारे गए थे।

अजीज तालिबान के खुले तौर पर समर्थक बने हुए हैं और उनकी ओर से देश में इस्लामिक शरिया प्रणाली लागू करने की मांग की जा रही है। तालिबान के साथ उनकी संबद्धता और आत्मीयता को इस तथ्य से अच्छी तरह से स्थापित किया जा सकता है कि लाल मस्जिद में एक पुस्तकालय का नाम मारे जा चुके अंतर्राष्ट्रीय आतंकी अलकायदा सुप्रीमो ओसामा बिन लादेन के नाम पर रखा गया है, जो उसे शहीद के रूप में सम्मान के तौर पर दिखाता है।

लाल मस्जिद 2007 के हमले के बाद से बंद है। हालांकि, अजीज अपनी मांगों और तालिबान के समर्थन के बारे में हमेशा से ही स्पष्ट रहे हैं।

अजीज को अभी भी लोगों का व्यापक समर्थन प्राप्त है। हालांकि, 2007 के बाद से, उसे लाल मस्जिद में उपदेश देने की अनुमति नहीं दी गई है।

अजीज ने एक बयान में कहा, "हमने पहले भी पाकिस्तान में इस्लामी शासन प्रणाली की स्थापना के लिए काम किया है और हम अपने प्रयास जारी रखेंगे।"

ताजा घटना ने उस समर्थन पर गंभीर चिंता जताई है जो अजीज जैसे मौलवी तालिबान को प्रदान करते हैं, क्योंकि उनके पास बड़े पैमाने पर अनुयायी हैं और अधिकांश हजारों छात्रों के साथ विशाल मदरसा चला रहे हैं।

इस साल अगस्त में अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण को पाकिस्तान में कई लोगों से जश्न की प्रतिक्रिया मिली है। स्थानीय लोगों, मौलवियों और यहां तक कि कुछ राजनेताओं ने पड़ोसी देश के घटनाक्रम पर खुशी व्यक्त की है, जिसे वे नाटो और संयुक्त राज्य अमेरिका का एक बड़ा नुकसान कहते हैं।

यह भावना और तालिबान के लिए एक अचिह्न्ति समर्थन, तालिबान समर्थक हंगामे या हमले की संभावनाओं का मुकाबला करने की चुनौती को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के लिए और भी कठिन बना देता है। (आईएएनएस)

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Web Title-Case registered against Lal Masjid cleric for hoisting Taliban flag
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