जियामेन। चीन के दक्षिणी-पश्चिमी शहर जियामेन में रविवार से तीन दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन की शुरुआत हो रही है, जिसमें सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की संभावना है। पांच सदस्यीय देशों के समूह की वार्षिक बैठक के दौरान आर्थिक, सुरक्षा एवं अन्य बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी और इससे इतर मोदी और जिनपिंग के बीच होनी वाली संभावित मुलाकात डोकलाम विवाद की वजह से सम्मेलन का मुख्य केंद्र होगी।
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चीन के शीर्ष थिंक टैंक चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के विशेषज्ञ वांग देहुआ ने बताया, चूंकि अब डोकलाम विवाद खत्म हो गया है, इसलिए जियामेन बैठक एक टर्निंग प्वाइंट साबित होगी। डोकलाम विवाद के समय भारत को युद्ध की धमकी देने वालों में से एक चीनी विशेषज्ञ वांग ने कहा कि इसका कोई कारण नहीं है कि भारत और चीन एक-दूसरे से शत्रुता रखें। वांग ने कहा, मैं हमेशा चिंडिया के पक्ष में रहा हूं, जो भारत और चीन को मिलाकर बनता है। मुझे ऐसा लगता है कि अगर हम साथ मिलकर काम करेंगे तो यह हमारे लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित होगा। दुनिया हमारी सुनेगी।
भारत और चीन की सेनाएं डोकलाम के पास चीन के सडक़ निर्माण के विरोध में गत दो माह से आमने-सामने थी, जिस वजह से ब्रिक्स सम्मेलन की सफलता पर संकट के बादल गहरा गए थे। दोनों देशों की ओर से सोमवार को डोकलाम से अपनी सेनाओं को हटाने का फै सला करने के बाद यह विवाद थम गया था। दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया संस्थान के अध्यक्ष हू शिशेंग ने कहा, यह अच्छी खबर है कि मोदी आ रहे हैं, लेकिन इस तरह के विवाद से रणनीतिक अविश्वास को बढ़ावा मिलता है।
सम्मेलन में दोनों नेताओं के बीच होने वाली चर्चा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, वे (मोदी और शी) मुलाकात के दौरान इस ओर इशारा कर सक ते हैं कि दोनों देशों की सेनाएं अब इस तरह आमने-सामने नहीं होंगी। यह पूछे जाने पर कि मोदी पाकिस्तान में आतंकवाद के संबंध में सवाल उठा सकते हैं, हू ने कहा, यह विश्वास बहाली का समय है। वे सामान्य तौर पर द्विपक्षीय मुद्दों के संबंध में बातचीत के लिए मुलाकात करेंगे। अभी डोकलाम विवाद के बाद विश्वास बहाली में कुछ समय लगेगा।
चीन ने सम्मेलन में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा दिए जाने पर चर्चा के संबंध में भारतीय चिंताओं को खारिज कर दिया है। यह भारत और चीन के बीच एक पेचीदा मसला है। बीजिंग की बेल्ट एवं सडक़ परियोजना, जिससे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जुड़ा हुआ है, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है और यह दोनों देशों के बीच एक और विवादास्पद पहलू है।
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