बीजिंग। डोकलाम पर जारी विवाद के बीच चीनी सेना ने एक बार फिर दोहराया कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने कहा कि वह डोकलाम के विवादित प्वाइंट से 100 मीटर पीछे हटने को तैयार है। लेकिन, भारत उसे 250 मीटर पीछे हटाने पर अडा हुआ है। हम भारत की इस बात का कभी समर्थन नहीं करेंगे। इसी बीच भूटान की तरह से पहली बार बयान सामने आया है। भूटान द्वारा डोकलाम को चीन का हिस्सा मानने वाले पेइचिंग के बयान का थिंपू ने पुरजोर तरीके से खंडन किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चीनी विदेश मंत्रालय ने कुछ दिन पहले यह दावा किया था कि सिक्किम सेक्टर में पडऩे वाले डोकलाम को भूटान पेइचिंग का हिस्सा मानने को तैयार हो गया है। डोकलाम में भारत और चीन के बीच करीब दो महीने से तनातनी चल रही है। चीन का सरकारी मीडिया रोज युद्ध की धमकी वाली खबरें तक छाप रहा है। वहीं, भारत इस मसले का समाधान बातचीत से निकालने के पक्ष में है। सीमा विवाद से संबंधित मसलों से जुड़े चीन की एक वरिष्ठ राजनयिक वांग वेनली ने दावा किया था कि भूटान ने कूटनीतिक माध्यमों का इस्तेमाल करते हुए पेइचिंग के पास यह संदेश भेजा है कि जिस इलाके में भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं, वह उसका क्षेत्र नहीं है।
वांग ने कथित तौर पर भारतीय मीडिया के एक प्रतिनिधिमंडल के सामने यह बात कही थी। हालांकि, वह अपनी बात की पुष्टि के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाई थीं। वांग के इस दावे का अब भूटान ने खंडन किया है। भूटान सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने एएनआई को बताया, डोकलाम मुद्दे पर हमारा नजरिया बिल्कुल ही स्पष्ट है। आप हमारा नजरिया 29 जून 2017 को भूटान विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित बयान से समझ लें। डोकलाम पर बढ़ते तनाव के बीच भूटान ने 29 जून को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें साफ-साफ कहा गया था कि भूटान की सीमा में सडक़ निर्माण दोनों देशों के बीच सीमा से जुड़े समझौते का सरासर उल्लंघन है। विज्ञप्ति में कहा गया था कि चीनी सेना ने डोकलाम के डोकला इलाके में सडक़ निर्माण शुरू कर दिया था। भूटान ने चीन से इसका विरोध जताया था।
विज्ञप्ति में कहा गया था कि भूटान और चीन के बीच सीमा से जुड़े मुद्दे पर बातचीत जारी है। दोनों देशों के बीच 1988 और 1998 में लिखित समझौता है। दोनों देश सीमा पर अंतिम समझौता होने तक शांति बनाने को सहमत थे। चीन और भूटान सीमा पर मार्च 1959 के पहले वाली स्थिति बनाने रखने पर भी सहमत थे। भूटान ने उम्मीद जताई थी कि चीन डोकलाम में 16 जून 2017 के पहले वाली यथास्थिति को कायम रखेगा। भारत ने भी भूटानी विदेश मंत्रालय का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया था कि भूटान सीमा के अंदर चीन द्वारा सडक़ निर्माण 1988 और 1998 के समझौते का उल्लंघन है। भारत ने पेइचिंग से कहा था कि इस इलाके में सडक़ निर्माण से यथास्थिति में बदलाव होगा और इससे भारत के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा पैदा हो सकता है।
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