• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

बांग्लादेश गिद्ध टॉक्सिक दवाओं पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बना

Bangladesh becomes the first country to ban vulture toxic drugs - World News in Hindi

नई दिल्ली| मवेशियों के इलाज के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले दर्द निवारक केटोप्रोफेन पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही बांग्लादेश गिद्धों के लिए विषाक्त किसी भी दवा पर प्रतिबंध लगाने वाला वाला पहला देश बन गया है। वहीं, डाइक्लोफेनेक पर प्रतिबंध लगे 10 साल से ज्यादा हो चुके हैं।

पक्षी-विज्ञानियों ने कहा कि यह विश्वस्तर पर एशिया में कम संख्या में बचे गिद्धों को बचाने के लिए एक उल्लेखनीय पहल है और भारत, पाकिस्तान, नेपाल और कंबोडिया जैसे अन्य देशों के लिए एक उदाहरण है।

'रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस' के क्रिस बोडेन, जो दक्षिण एशिया में कार्यक्रम का समन्वय कर रहे थे, ने आईएएनएस को बताया, "बांग्लादेश देशभर में केटोप्रोफेन पर प्रतिबंध लगाकर महत्वपूर्ण नेतृत्व दिखा रहा है।"

सेविंग एशिया वल्चर्स फ्रॉम एक्सटिंक्शन (सेव) के अनुसार, केटोप्रोफेन बांग्लादेश में पशु चिकित्सकों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवा बन गई है, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है।

डाइक्लोफेनाक और केटोप्रोफेन सहित नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) बांग्लादेश सहित दक्षिण एशिया के गिद्धों के लिए मुख्य खतरे हैं। ये दवाएं इस क्षेत्र में 99.9 फीसदी व्हाइट रम्प्ड गिद्धों (बंगाल का गिद्ध) के विनाश के लिए जिम्मेदार थीं।

जब इन एनएसएआईडी को मवेशियों दिया जाता है, और अगर गाय या भैंस कुछ दिनों के भीतर मर जाती है और उसके मांस का गिद्धों द्वारा सेवन किया जाता है, तो इससे उनका किडनी फेल हो जाता है और गिद्धों की मौत हो जाती है।

केटोप्रोफेन को पहली बार 10 साल पहले दक्षिण अफ्रीका में किए गए परीक्षणों में गिद्धों के लिए विषाक्त होना दर्शाया गया था। 2017 में बांग्लादेश के दो गजेटेड गिद्ध सुरक्षित क्षेत्रों में पहला स्थानीयकृत प्रतिबंध आया जिसने देश के लगभग एक तिहाई हिस्से को कवर किया था।

सेव ने कहा कि हालांकि, इस प्रतिबंध को पूरी तरह से प्रभावी बनाना एक चुनौती रही है। बैन और प्रमुख जागरूकता अभियानों के बावजूद, 2018 के अंडरकवर फामेर्सी सर्वेक्षणों से पता चला है कि पशु चिकित्सा दवा आपूर्तिकर्ताओं के 62 प्रतिशत अभी भी केटोप्रोफेन की पेशकश करते हैं, और यह पहले से केवल 10 प्रतिशत की कमी है।

इन क्षेत्रों में दवा की आपूर्ति को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया है, जबकि यह देश में कहीं और कानूनी रूप से उपलब्ध है। इसलिए, केटोप्रोफेन पर देशव्यापी प्रतिबंध एक महत्वपूर्ण कदम है।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रीस ग्रीन ने कहा कि भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश की सरकारों ने 10 साल पहले गिद्ध विषाक्त ड्रग डाइक्लोफेनाक के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्परता दिखाई थी।

उन्होंने कहा कि हालांकि, दुर्भाग्य से वे गिद्धों के लिए विषाक्तता के सबूत के बावजूद, किसी भी अन्य दवाओं पर प्रतिबंध लगाने में ढिलाई कर रहे हैं, यहां तक कि डाइक्लोफेनेक की एक प्रोड-ड्रग एसेक्लोफेनेक अभी तक प्रतिबंधित नहीं किया गया है।

भारत सरकार ने 2006 में डाइक्लोफेनेक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया, और हालांकि यह एक महत्वपूर्ण कदम था, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि यह पूरी तरह से प्रभावी नहीं है, और अब उपयोग में अन्य गिद्ध-विषाक्त दवाएं भी हैं।

बीते दिसंबर में ओमान अरब प्रायद्वीप में ऐसा पहला देश बन गया, जहां डाइक्लोफेनेक के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Bangladesh becomes the first country to ban vulture toxic drugs
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: bangladesh, first country, ban, vulture, toxic drugs, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved