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अपेक सम्मेलन में छाया रहा अमेरिका, चीन व्यापार युद्ध का मसला


शी ने कहा कि बाधक दीवारें खड़ी करने और आर्थिक संबंध तोड़ने के प्रयास अर्थशास्त्र के नियम और इतिहास की प्रवृत्ति के खिलाफ हैं। यह अदूरदर्शी नजरिया है जोकि विफलता से अभिशप्त होता है। पेंस का लहजा ज्यादा आक्रामक था, हालांकि उन्होंने अपने भाषण के आरंभ में कहा कि ट्रंप प्रशासन ने शी और चीन की प्रशंसा की है।

पेंस ने कहा कि राष्ट्रपति का कहना है कि चीन ने अमेरिका से अनेक वर्षो तक लाभ उठाया है, लेकिन वे दिन अब बीत गए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने कहा कि चीन में काफी बाधाएं हैं। इसने काफी शुल्क लगाया है और उनके देश में कोटा, जबरदस्ती प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, बौद्धिक संपदा चोरी और अत्यधिक औद्योगिक सब्सिडी के बारे में हम सभी जानते हैं। इन कदमों के चलते अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 375 अरब डॉलर रहा।

उन्होंने कहा कि सितंबर में चीन से आयातित 250 अरब डॉलर की वस्तुओं पर शुल्क लगाने का ट्रंप का कदम अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए था। चीन ने इस पर प्रतिक्रिया करते हुए 110 अरब डॉलर की अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर शुल्क लगा दिया। अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा कि अगर चीन वाशिंगटन द्वारा प्रस्तावित वाणिज्य नीतियों का पालन नहीं करेगा तो वाशिंगटन आयात शुल्क दोगुना कर सकता है। पेंस ने कहा, "जब तक चीन अपना रास्ता नहीं बदलेगा तब तक अमेरिका के रुख में बदलाव नहीं होगा।
-आईएएनएस

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Web Title-America is shocked at the APEC conference, China business war issue
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