कराची। पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में शुक्रवार सुबह एक पांच मंज़िला रिहायशी इमारत के ढहने से कम से कम 16 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसा सुबह करीब 10 बजे हुआ और घटनास्थल पर बचाव व राहत कार्य देर रात तक जारी रहे। अधिकारियों ने आशंका जताई है कि मलबे में अब भी कई लोग फंसे हो सकते हैं, जिससे मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, यह इमारत तीन साल पहले ही "रहने के लिए असुरक्षित" घोषित की जा चुकी थी। बावजूद इसके, यहां करीब 100 लोग रह रहे थे। पुलिस और राहतकर्मियों ने मलबे से कई शव और घायलों को बाहर निकाला है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रशासन बनाम निवासी: नोटिस को लेकर विरोधाभासी दावे
जहां प्रशासन का दावा है कि वर्ष 2022, 2023 और 2024 में इमारत को खाली कराने के लिए कई नोटिस जारी किए गए थे, वहीं वहां रहने वाले लोगों—जिनमें मकान मालिक और किराएदार दोनों शामिल हैं—का कहना है कि उन्हें कभी कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी जावेद नबी खोसो ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि रिकॉर्ड में तीन बार नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। दूसरी ओर, पीड़ित परिवारों का आरोप है कि अगर सरकार समय रहते ठोस कार्रवाई करती तो यह हादसा टाला जा सकता था।
मलबे में अब भी फंसे हैं लोग
राहत दलों ने बताया कि पूरी रात राहत कार्य चलता रहा। अब तक कई शव निकाले जा चुके हैं और घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मृतकों की संख्या में और इज़ाफा हो सकता है, क्योंकि कई लोग अब भी मलबे में दबे हो सकते हैं।
शहर में 600 से अधिक खतरनाक इमारतेंयह इमारत कराची की उन 600 से अधिक इमारतों में से एक थी, जिन्हें प्रशासन ने आधिकारिक रूप से खतरनाक घोषित किया है। यह हादसा न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि पाकिस्तान में निर्माण मानकों और शहरी नियोजन को लेकर गहरी चिंता भी पैदा करता है।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि खतरनाक इमारतों को लेकर पारदर्शी और त्वरित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और जांच के आदेश
हादसे के बाद प्रधानमंत्री और सिंध प्रांत की सरकार की ओर से शोक संवेदनाएं व्यक्त की गई हैं। साथ ही, एक उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। सिंध सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा देने की घोषणा की है और घायलों के इलाज का खर्च उठाने का भरोसा भी दिलाया है।
इस हादसे ने पाकिस्तान के शहरी विकास ढांचे और प्रशासनिक जवाबदेही पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि क्या कराची और देश के अन्य हिस्सों में ऐसी असुरक्षित इमारतों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह हादसा भी बाकी घटनाओं की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा।
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