नई दिल्ली। भारत के वॉन्टेड इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक को मलेशिया ने पनाह दे दी है। जाकिर को पिछले महीने मलेशिया की सबसे बड़ी मस्जिद पुत्रा में देखा गया है। इस दौरान उसके साथ एक बॉडीगार्ड भी था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जाकिर को मलेशिया की पुत्रा मस्जिद में देखा गया। उसके साथ कुछ फॉलोवर और एक बॉडीगार्ड था। मलेशिया के पीएम नजीब रजाक और उनके मंत्री भी इसी मस्जिद में इबादत के लिए आते हैं। ब्रिटेन जाकिर पर बैन लगा चुका है। नाइक को मलेशिया की स्थायी नागरिकता दी गई है। गौरतलब है कि यूके सरकार ने नाईक पर बैन लगा रखा है। जबकि मलेशिया में उन्हें स्थायी ठिकाना मिल चुका है। यहां के टॉप सरकारी अधिकारी भी उन्हें काफी तवज्जो देते हैं। ऐसे में यह जानना काफी दिलचस्प है कि एक विवादित इस्लामिक उपदेशक की मलेशिया में मेहमाननवाजी की वजह क्या है? ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आलोचकों का कहना है कि मलेशिया में नाईक का होना इस बात का संकेत है कि देश में कट्टर इस्लाम को उच्च स्तर पर समर्थन मिल रहा है। देश में ईसाई, हिंदू और बौद्ध अल्पसंख्यक हैं और देश की उदार इस्लामिक छवि रही है। आपको बता दें कि हाल ही में एनआईए ने विवादित इस्मालिक उपदेशक जाकिर नाइक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। एनआईए द्वारा विशेष अदालत में पेश 65 पन्नों की चार्जशीट में नाइक पर हेट स्पीच और आतंक को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं। साथ में दिए गए दस्तावेजों में 1000 पन्ने हैं। इसमें 80 गवाहों के बयान भी दर्ज हैं। नाइक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज है।
जाकिर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के मामले में एनआईए जांच कर रही है। उसने जुलाई 2016 में तब भारत छोड़ा था जब बांग्लादेश में मौजूद आतंकियों ने दावा किया था कि वे जाकिर के भाषणों से प्रेरित हो रहे हैं। एनआईए ने मुंबई स्थित अपने ब्रांच में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत 18 नवंबर, 2016 को जाकिर के खिलाफ केस दर्ज किया था।
आपको बता दें कि 51 वर्षीय जाकिर नाइक का जन्म मुंबई में 18 अक्टूबर 1965 को हुआ था। उसने एमबीबीएस किया है। नाईक एक मुस्लिम धर्मगुरु, राइटर और स्पीकर है। इसके अलावा वो इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन या आईआरएस का फाउंडर और अध्यक्ष है।
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