नई दिल्ली। एक विशेषज्ञ समिति ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया
है कि श्री श्री रविशंकर की आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक
महोत्सव के कारण यमुना का डूब क्षेत्र बर्बाद हो गया है जिसके पुनर्वास में
13.29 करोड रूपए की लागत आएगी और इसमें करीब 10 साल लगेंगे।
जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने
एनजीटी को बताया है कि यमुना नदी के बाढ क्षेत्र को हुए नुकसान की भरपाई के
लिए बडे पैमाने पर काम कराना होगा। समिति ने कहा कि ऎसा अनुमान है कि
यमुना नदी के पश्चिमी भाग (दाएं तट) के बाढ क्षेत्र के करीब 120 हेक्टेयर
(करीब 300 एकड) और नदी के पूर्वी भाग (बाएं तट) के करीब 50 हेक्टेयर (120
एकड) बाढ क्षेत्र पारिस्थितिकीय तौर पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं।
एनजीटी ने पिछले साल आर्ट ऑफ लिविंग को यमुना के बाढ क्षेत्र में तीन
दिवसीय विश्व संस्कृति महोत्सव आयोजित करने की अनुमति दी थी। एनजीटी ने इस
कार्यक्रम पर पाबंदी लगाने में असमर्थता जाहिर की थी क्योंकि कार्यक्रम
पहले ही आयोजित किया जा चुका है। बहरहाल, एनजीटी ने इस कार्यक्रम के कारण
पयार्वरण पर पडने वाले प्रभाव को लेकर फाउंडेशन पर पांच करोड रूपए का
अंतरिम पयार्वरण जुर्माना लगाया था।
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