नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बसपा नेता का आरोप है कि उन्हें दलितों के खिलाफ अत्याचार का मुद्दा राज्यसभा में उठाने नहीं दिया गया। नाराज मायावती ने कहा था कि वह सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगी। इसके कुछ घंटों बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। आपको बता दें कि इस्तीफा स्वीकार करने का आखिरी फैसला सभापति के पास होता है। सांसदों के इस्तीफे का फॉर्मेट तय है कि वो कम शब्दों में लेटर लिखें और इसमें वजह का जिक्र ना करें। ऐसे में सवाल यह है कि क्या मायावती का इस्तीफा मंजूर होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मायावती ने इस्तीफा तो दे दिया है लेकिन शायद उसे स्वीकार न किया जाए। इसकी वजह यह है कि इस्तीफा नियम संगत तरीके से नहीं दिया गया है। नियम यह है कि कोई भी संसद सदस्य (लोकसभा, राज्यसभा) जब इस्तीफा देता है तो उसे एक लाइन में इसे लिख चेयरमैन या स्पीकर को सौंपना होता है। इसके अलावा इस्तीफे में न तो कोई कारण बताया जाता है और न ही सफाई दी जाती है। मायावती ने जो इस्तीफा दिया है वह तीन पेज का है। इसके अलावा उसमें बकायदा इसके पीछे की वजह भी बताई गई है।
मायावती ने इस्तीफे में क्या लिखा
मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना इस्तीफा पत्र पढ़ते हुए कहा कि बीएसपी ने दलितों पर हो रहे अत्याचार खासकर यूपी के सहारनपुर में हुए दलित उत्पीडऩ पर कार्यवाही रोक चर्चा की मांग की थी। रूल 267 के मुताबिक पार्टी ने नोटिस दिया था। मायावती ने कहा कि सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही उन्होंने उपसभापति को इसकी याद दिलाई। मायावती ने बताया कि उपसभापति ने नोटिस पर केवल 3 मिनट बोलने की अनुमति दी। बीएसपी सुप्रीमो के मुताबिक उन्होंने उसी वक्त सदन को बताया कि यह मामला ऐसा नहीं है कि 3 मिनट में बात रखी जा सके। ऐसा कोई नियम भी नहीं है कि स्थगन नोटिस के बाद 3 मिनट का ही समय दिया जाए।
मुख्तार अंसारी की मौत : पूर्वांचल के चार जिलों में अलर्ट, बांदा में भी बढ़ी सुरक्षा, जेल में अचानक बिगड़ी थी तबीयत
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope