कानपुर।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि पश्चिम बंगाल में जेहादी तत्वों द्वारा लगातार
बढ़ रहे हिंसाचार,
राष्ट्र विरोधी
तत्वों को दिए जा रहे बढ़ावे, घटती हिंदुओं
की संख्या और हालात यह दर्शाते हैं कि पश्चिम बंगाल सांप्रदायिक हिंसा की
प्रयोगशाला बन चुकी है। सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बीएनएसडी शिक्षा
निकेतन में कानपुर प्रान्त संघचालक वीरेंद्र पराक्रमादित्य ने यह बात कही।
कोयम्बटूर में हुई
बैठक में उठा मुद्दा
प्रान्त संघचालक ने
बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, कोयम्बटूर में 19
मार्च से 21 मार्च को संपन्न हुई। तीन दिन तक चली इस बैठक में पश्चिम बंगाल के बिगड़ते
हालात पर मंथन हुआ। उन्होंने बताया कटवा, कालीग्राम, ईलामबाजार,
सहित कई स्थानों पर
कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं पर आक्रमण किये जाने पर भी चिंता जताई गयी। पश्चिम
बंगाल में तेजी से बढ़ते फेक करेंसी, गोवंश और
घुसपैठ की घटना पर भी मंथन किया गया। पश्चिम बंगाल में सर उठाते कट्टरपंथी राष्ट्र
की एकता और अखण्डता के लिए गंभीर चेतावनी बने होने पर गहन चिंतन हुआ।
पश्चिम बंगाल सरकार
कर रही तुष्टिकरण की राजनीति
बताया पश्चिम बंगाल
के कई जिलां में हिन्दू आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। इनके मुताबिक
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदुओं की आबादी महज 33 फीसदी है बाकी मुस्लिम आबादी है। मालदा में 47 फीसदी हिन्दुओं की आबादी है, जबकि बाकी
मुस्लिम आबादी है। इनके मुताबिक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। मुस्लिम कट्टरपंथियों के एक वर्ग को खुश करने के
लिए ममता सरकार ने तस्लीम नसरीन को पश्चिम बंगाल में आना प्रतिबंधित कर दिया।
तृणमूल कांग्रेस के एक समारोह में मौलवी सैय्यद मोहम्मद नूरुर रहमान बरकाती ने प्रधानमन्त्री
नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फतवा जारी किया।
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