लंदन। एक अध्ययन से पता चला है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन उत्सर्जित करने वाले मोबाइल फोन के बार-बार इस्तेमाल से शुक्राणु की सघनता और कुल शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है।
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हालांकि, फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि मोबाइल फोन के उपयोग और शुक्राणु की कम गतिशीलता और उसके स्ट्रक्चरल फीचर के बीच कोई संबंध नहीं है।
पिछले पचास वर्षों में वीर्य की गुणवत्ता में देखी गई गिरावट को समझने के लिए विभिन्न पर्यावरणीय और जीवनशैली कारकों का प्रस्ताव किया गया है, लेकिन इसमें मोबाइल फोन की भूमिका अभी तक देखी नहीं गई है।
स्विट्जरलैंड में जिनेवा विश्वविद्यालय की एक टीम ने 2005 और 2018 के बीच भर्ती किए गए 18 से 22 वर्ष की आयु के 2,886 स्विस पुरुषों के डेटा के आधार पर एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया।
डेटा से मोबाइल फोन के बार-बार उपयोग और कम शुक्राणु एकाग्रता के बीच संबंध का पता चला।
उन पुरुषों के समूह में औसत शुक्राणु सांद्रता काफी अधिक थी जो सप्ताह में एक बार (56.5 मिलियन/एमएल) से अधिक अपने फोन का उपयोग नहीं करते थे, उन पुरुषों की तुलना में जो दिन में 20 बार (44.5 मिलियन/एमएल) से अधिक अपने फोन का इस्तेमाल करते थे।
वीर्य की गुणवत्ता शुक्राणु एकाग्रता, कुल शुक्राणु संख्या, शुक्राणु गतिशीलता और शुक्राणु आकृति विज्ञान जैसे मापदंडों के मूल्यांकन से निर्धारित होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित मूल्यों के अनुसार, यदि किसी पुरुष के शुक्राणु की सांद्रता 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम है, तो उससे गर्भधारण करने में संभवतः एक वर्ष से अधिक समय लगेगा। इसके अलावा, यदि शुक्राणु सांद्रता 40 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम है तो गर्भावस्था की प्रतिशत संभावना कम हो जाएगी।
कई अध्ययनों से पता चला है कि पिछले पचास वर्षों में वीर्य की गुणवत्ता में कमी आई है।
बताया गया है कि शुक्राणुओं की संख्या औसतन 99 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर से घटकर 47 मिलियन प्रति मिलीलीटर हो गई है। ऐसा माना जाता है कि यह घटना पर्यावरणीय कारकों और जीवनशैली की आदतों (आहार, शराब, तनाव, धूम्रपान) का परिणाम है।
डेटा विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि फोन की स्थिति - उदाहरण के लिए, पतलून की जेब में - कम वीर्य मापदंडों से जुड़ी नहीं थी।
--आईएएनएस
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