नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी अपने आप में कालेधन के सृजन पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है। सभी तरह की अघोषित संपत्तिओं को पकडऩे के लिए अन्य कदमों की भी जरूरत है। भारत सरकार ने ठीक छह महीने पहले 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी और 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। सरकार के इस कदम से लगभग 87 फीसदी नकदी एक झटके से प्रणाली से बाहर हो गई थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
संयुक्त राष्ट्र के एशिया व प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक व सामाजिक सर्वे 2017 के अनुसार भारत में कालेधन पर आधारित अर्थव्यवस्था जीडीपी के 20-25 फीसदी के बराबर है। इसमें नकदी का हिस्सा केवल 10 फीसदी माना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है, नोटबंदी के इस कदम से, अपने स्तर पर कालेधन का भावी प्रवाह नहीं रुकेगा, अघोषित संपत्ति व आस्तियों के सभी रूपों को लक्षित पूरक कदमों की जरूरत होगी। रिपोर्ट के अुनसार जीएसटी, स्वैच्छिक आय घोषणा योजना व टीआईएन के जरिए बड़े सौदों को पकडऩे की पहल जैसे व्यापक बुनियादी सुधारों से भी पारदर्शितता बढ़ेगी।
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