नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत में गुरुवार को केन्द्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि राफेल सौदे को लेकर दायर की गई सीएजी (कैग) रिपोर्ट में गलती हुई है। सरकार का पक्ष रखते हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि जो कैग रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई है उसके पहले तीन पन्ने गायब हो गए है। SC ने लीक दस्तावेजों पर केंद्र के विशेषाधिकार के दावे पर फैसला सुरक्षित रखा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सुप्रीम कोर्ट में राफेल पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने बताया कि कैग की जो रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखी गई थी, उसमें कुछ कागजात नहीं थे। रिपोर्ट में शुरुआती तीन पेज शामिल नहीं थे। जिसपर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप दस्तावेजों के विशेषाधिकार की बात कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए आपको सही तर्क पेश करना पड़ेगा।
केन्द्र सरकार ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि राफेल सौदे पर उसके फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल दस्तावेज ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये संवेदनशील’ हैं और जिन लोगों ने इन दस्तावेजों की फोटोकापी बनाने की साजिश की, उन्होंने इसकी चोरी की और इन्हें लीक करके सुरक्षा को खतरे में डाला है। रक्षा मंत्रालय ने इस हलफनामे में कहा गया था कि इन संवेदनशील दस्तावेजों के लीक होने की घटना के संबंध में 28 फरवरी को आंतरिक जांच शुरू हुई जो अभी भी जारी है और यह पता लगाना बेहद जरूरी है कि ये लीक कहां से हुए हैं।
अटॉर्नी जनरल ने इससे पहले राफेल पर पुनर्विचार याचिका और गलत बयानी संबधी आवेदन खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि ये चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है। इससे जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने वाला सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और अदालत की अवमानना का दोषी है। बीते 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 58,000 करोड़ रुपए के सौदे को क्लीनचिट दे दी और कहा था कि फ्रांसीसी विमान की खरीदी में किसी तरह की खामी नहीं है।
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