नई दिल्ली। सरकारी नौकरी का नशा और कुर्सी की कथित 'पॉवर' इंसान को कब कहां किस हद तक नीचे ले जाकर गिराए, इसका अंदाजा लगा पाना हर किसी के बूते की बात नहीं। उस पर भी दिल्ली पुलिस के पावर की 'हनक' देश में वाकई अन्य राज्यों की पुलिस से तो अलग होगी ही। क्योंकि दिल्ली पुलिस सिर्फ केंद्र सरकार के प्रति जबाबदेह और हिंदुस्तान की राजधानी की पुलिस जो ठहरी। इंसान-इंसानियत और किसी के सुख-दुख से भला उसका क्या वास्ता? बुरा तब लगता है जब, पुलिस की यह 'हनक' उसके किसी अपने और बेहद चहेते आला-आईपीएस की मौत पर ही भारी पड़ जाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भारतीय पुलिस सेवा (1988 बैच अग्मूटी कैडर, आईपीएस) और गोवा के पुलिस महानिदेशक प्रणव नंदा का शुक्रवार-शनिवार की रात दिल्ली में कार्डिएक अरेस्ट (दिल का दौरा) से आकस्मिक निधन हो गया। चूंकि प्रणव नंदा गोवा जैसे राज्य के मौजूदा पुलिस महानिदेशक थे। केंद्र सरकार में भी वे तमाम विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे। प्रणव नंदा की पत्नी सुंदरी नंदा भी दिल्ली में विशेष पुलिस आयुक्त (सतर्कता) के पद पर तैनात हैं। मृदुभाषी-मिलनसार स्वभाव के स्वामी प्रणव नंदा काफी समय तक दिल्ली पुलिस में भी तैनात रहे।
दिल्ली में प्रणव नंदा डीसीपी प्रधानमंत्री सुरक्षा, डीसीपी नई दिल्ली जिला के पद पर भी रहे. प्रणव नंदा की गिनती हिंदुस्तान के उन आईपीएस अफसरों में होती थी, जिन्होंने कभी भी फिजूल की बातों के लिए किसी भी पोस्टिंग के दौरान कहीं भी मीटिंगबाजी नहीं की। कम बोलना मगर सही समय पर सटीक बोलना उनकी खासियत थी। जल्दी किसी पर विश्वास करना उनकी फितरत में नहीं था। विश्वास हो गया तो खुद ही उसके पास चलकर जाने में प्रणव नंदा कभी नहीं हिचके। भले ही वो उनसे पद, उम्र या फिर रुतबे में छोटा ही क्यों न रहा हो।
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