धर्मशाला। देवभूमि के एक और लाल ने महज 32 साल की उम्र में देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए। नगरोटा बगवां क्षेत्र की सुन्ही पंचायत निवासी मस्तराम ने कड़ी मेहनत कर अपने बेटे सुरेश को सीआरपीएफ में भर्ती किया। बताया जाता है कि 2014 में सीआरपीएफ में भर्ती सुरेश उन 12 शहीदों में शामिल थे, जिन पर नक्सलियों ने शनिवार सुबह कायराना हमला किया। यह हमला नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के जंगल में अचानक कर दिया था। हिमाचली बेटा भी सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन के जवानों के साथ ड्यूटी पर निकला था। इस हमले में शहीद 12 जवानों के हथियार भी छीन लिए गए थे। फायरिंग में 12 जवानों ने शहादत को चूमा था, लेकिन बेटे की शहादत पर देवभूमि में होली के रंग भी फीके हो गए हैं। जैसे ही उनके बेटे के शहीद होने की खबर परिवार को मिली तो मातम छा गया। वहीं रविवार को शहीद का पार्थिव शरीर पैतृक गांव में पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। 2 साल पहले ही शहीद सुरेश कुमार की शादी हुई थी। अपने पीछे दो साल की नन्ही बेटी भी छोड़ गए हैं। [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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