भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेक राजाओं ने लडाई लडी और इसी कडी में
हमारे देश की वीर तथा साहसी स्त्रियों ने भी उनका साथ दिया।
जिन्होंने बहादुरी तथा साहस के साथ युद्ध भूमि में शत्रु से लोहा लिया।
इनमे झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। रानी
वीरता, साहस, दयालुता, अद्वितीय सौन्दर्य का अनुपम संगम थी। दृढता,
आत्मविश्वास व देशभक्ति उनके हथियार थे जिससे अंग्रेजो को हार का मुंह
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रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित ‘झांसी राज्य’ की रानी थी
जो की उत्तर-मध्य भारत में स्थित है। लक्ष्मीबाई 1857 के प्रथम भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थीं। बलिदानों की धरती भारत में ऐसे-ऐसे
वीरों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने रक्त से देश प्रेम की अमिट गाथाएं
लिखीं। इन्हीं में से एक का नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई है। जिन्होंने
सिर्फ 23 साल की उम्र में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से संग्राम किया और
रणक्षेत्र में वीरगति प्राप्त की। जीते जी अंग्रेजों को अपनी झांसी पर
कब्जा नहीं करने दिया। उन्होंने न केवल भारत की बल्कि विश्व की महिलाओं को
गौरवान्वित किया। उनका जीवन स्वयं में वीरोचित गुणों से भरपूर, अमर
देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा है।
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