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SC तत्काल सुनवाई के मामलों में वरिष्ठ वकीलों को प्राथमिकता न देने के पक्ष में

SC in favor of not giving priority to senior lawyers in matters of urgent hearing - India News in Hindi

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि तत्काल सुनवाई के लिए मामलों का पीठ के समक्ष सीधे उल्लेख करने के बजाय शीर्ष अदालत के अधिकारियों के सामने ऐसा करने की व्यवस्था बनाई गई, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं को उनके कनिष्ठ सहयोगियों की तुलना में विशेष प्राथमिकता नहीं दी जाए। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, हम वरिष्ठ अधिवक्ताओं को विशेष प्राथमिकता देकर कनिष्ठ अधिवक्ताओं वकीलों को अवसरों से वंचित नहीं करना चाहते है।

पीठ ने कहा कि यह प्रणाली इसलिए बनाई गई है, जहां सभी लोग रजिस्ट्रार के समक्ष मामले को रख सकें।

प्रधान न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि यदि उल्लेख करने वाले अधिकारी द्वारा अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया जाता है, तो वकील उनके समक्ष मामलों का उल्लेख कर सकते हैं। उन्होंने कहा, आप स्वत: उल्लेख कर सकते हैं कि क्या इसे खारिज कर दिया गया है। एक विशिष्ट मामला पेश करें, मैं इसे देख लूंगा।

उन्होंने यह टिप्पणी उस समय की, जब कोयला घोटाले से संबंधित एक जनहित याचिका के संबंध में एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि मामले को पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध अधिकारियों को देने के बावजूद मामले महीनों तक ठंडे बस्ते में ही पड़े रहते हैं।

भूषण ने कहा कि बल्कि तत्काल का मेमो देने पर भी मामले लटके ही रहते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वर्तमान उल्लेख प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि किसी भी वकील को विशेष प्राथमिकता न मिले।

यह कहते हुए कि अस्वीकृति मुद्दा नहीं है, भूषण ने कहा कि मुद्दा यह है कि अगर उल्लेख की अनुमति दी जाती है, तो मामला सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष सूचीबद्ध नहीं होता है। इस पर सीजेआई ने भूषण को आवश्यक कार्रवाई के लिए एक विशिष्ट मामले को उनके संज्ञान में लाने को कहा।

सीजेआई रमना ने मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने का सीधा अनुरोध पीठ के समक्ष करने की परिपाटी को बंद कर दिया है और इसके बजाय वकीलों से कहा कि वे संबंधित अधिकारी के समक्ष अपने मामलों का उल्लेख करें।

अधिवक्ता एम. एल. शर्मा, जो कोयला घोटाला मामले में एक याचिकाकर्ता भी हैं, ने नामित अदालत के अधिकारी के सामने उल्लेख करने के बावजूद मामलों को सूचीबद्ध न करने का मुद्दा उठाया। (आईएएनएस)

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Web Title-SC in favor of not giving priority to senior lawyers in matters of urgent hearing
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