रांची।
झारखंड के गांव की
महिलाएं कल तक जहां घर में या तो बेरोजगार बैठी थी या गांव में ही मजदूरी
का काम कर आजीवका का साधन जुटाती थी, लेकिन आज ग्रामीण विकास विभाग के गुतु
गलांग कल्याण ट्रस्ट की पहल ने इन ग्रामीण महिलाओं के लिए नए सपने बुनने
का आधार तैयार कर दिया है। ये महिलाएं आज बोरी बनाकर अपने जीवन के नए सपने
संजो रही हैं।
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झारखंड में राज्य में विशेष रुप से कमजोर आदिवासी समूह के परिवारों
(पीवीटीजी) के उत्थान के लिए ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड स्टेट
लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) के द्वारा एक अभिनव पहल की शुरूआत
की गई है। पीवीटीजी परिवारों के लिए पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में शुरू
किए गए गुतु गलांग कल्याण ट्रस्ट सफलता के नए आयाम गढ़ रहा है।
ग्रामीण
विकास विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि दिसंबर 2019 में ट्रस्ट
के रुप में रजिस्टर्ड पीवीटीजी महिलाओं की संस्थाओं को जेएसएलपीएस के
द्वारा अनुदान के रुप में 4.50 लाख रुपये व्यवसाय के लिए दिए गए। आज एक साल
में इस ट्रस्ट ने 71.52 लाख रुपए का कुल कारोबार किया, जिसके जरिए करीब
14.89 लाख का शुद्ध मुनाफा इस ट्रस्ट को हुआ है।
उन्होंने बताया कि
ट्रस्ट के जरिए ग्रामीण महिलाएं 'डाकिया योजना' के तहत पीवीटीजी परिवारों
को चावल वितरण का कार्य के लिए बोरी का निर्माण करती है। प्रारंभ में इन
महिलाओं को बोरा के निर्माण के लिए प्रशिक्षण एवं अपेक्षित मशीनों का सेट
अप दिया गया, इसके बाद इनका कारोबार चल निकला।
शुरूआती दौर में 6
पीवीटीजी परिवार की महिलाएं बोरी निर्माण के कार्य में जुड़ी, लेकिन आज 36
महिलाएं यहां बोरा उत्पादन से जुड़ी हैं। प्रत्येक माह 15 से 20 दिन कार्य
करके इन महिलाओं को करीब 4 हजार रुपये महीने की आमदनी होती है।
उल्लेखनीय
है कि पीवीटीजी डाकिया योजना के तहत राज्य के पीवीटीजी परिवारों को हर
महीने 35 किलो चावल उपलब्ध कराने का प्रावधान है। जिसके पैकेजिंग एवं वितरण
की जिम्मेदारी शुरूआत से ही सखी मंडल की महिलाओं को ही दी गई है।
गुतु
गलांग कल्याण ट्रस्ट की सदस्य, पाकुड़ के मुकरीपहाड़ गांव की रूबी मलतो भी
बोरा निर्माण का काम करतीं हैं। वे बताती हैं, पहले जब हम बाजार से बोरा
खरीद कर चावल पैक करते थे तब मुनाफा नहीं के बराबर होता था, वहीं बोरे की
गुणवत्ता भी ठीक नहीं रहती थी। लेकिन आज हमलोग पूरे राज्य के करीब 72,000
परिवारों के पीवीटीजी डाकिया योजना के बोरे का निर्माण करते है।
इधर,
जेएसएलपीएस के कार्यक्रम प्रबंधक (संचार) विकास कुमार कहते हैं कि ट्रस्ट
के संचालन के लिए दिसंबर 2019 में गुतु गलांग कल्याण ट्रस्ट को रजिस्टर्ड
कर अनुदान के रुप में 4.5 लाख कैपिटल राशि के रुप में उपलब्ध कराई गई थी।
इस ट्रस्ट को पूर्ण रुप से सखी मंडल से जुड़ी पीवीटीजी दीदियां चलाती हैं।
उन्होंने
कहा, "उड़ान परियोजनाओं के तहत गुटु गलांग ट्रस्ट को आर्थिक एवं तकनीकी
मदद उपलब्ध कराई जा रही है। कभी गुतु गलांग समूह के रुप में पैकेजिंग के
कार्य के लिए बनाया गया समूह आज पीवीटीजी महिलाओं के ट्रस्ट के रुप में
बदलाव की नई कहानी लिख रहा है।" (आईएएनएस)
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