आरएसएस प्रचारक न सिर्फ घाटी, बल्कि जम्मू में भी वीरान पड़े मंदिरों का
जीर्णोद्धार करने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य में ऐतिहासिक मंदिरों का
जीर्णोद्धार करने पर आरएसएस ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट (2019) में लिखा है,
"पुरमंडल जम्मू से 40 किलोमीटर दूर देविका नदी के किनारे स्थित एक पवित्र
स्थल है। कभी संस्कृत भाषा का अध्ययन केंद्र रहे इस स्थान की काफी समय से
उपेक्षा होती रही है। इसका पुनरुद्धार करने के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया
गया है।"
सीमावर्ती क्षेत्रों और श्रीनगर से दूर रहने वाले
अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में लाने के लिए आरएसएस नेताओं ने एक व्यापक
योजना 'एकल विद्यालय' (एक शिक्षक, एक कक्षा) शुरू की है।
जम्मू एवं
कश्मीर में आरएसएस के शीर्ष अधिकारी ने कहा, "इसके तहत एक शिक्षक एक स्कूल
में एक कक्षा चलाता है। जिन दूरस्थ गावों में अभी तक शिक्षा नहीं पहुंची
है, उन्हें एकल विद्यालय योजना में शामिल किया गया है।"
फिलहाल इस
परियोजना में 6,000 शिक्षक हैं और इसके अंतर्गत लद्दाख और कारगिल जैसे
क्षेत्र भी शामिल किए गए हैं। शिक्षण परियोजनाओं के अलावा, आरएसएस
अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले मुस्लिमों
पर भी फोकस कर रहा है।
आरएसएस की रिपोर्ट के अनुसार, सीमावर्ती
क्षेत्र सीमापार गोलीबारी से बुरी तरह प्रभावित हैं। इस कारण लोगों को
प्रवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में बाधा तथा दैनिक जीवन में
असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। इन मुद्दों से निपटने के प्रयास शुरू कर
दिए गए हैं। शुरुआती तौर पर कुल 701 गांवों में से 457 गांवों का सर्वे
किया गया है। समान उद्देश्यों वाले विभिन्न संगठनों की मदद से एक
कार्यकारिणी समिति गठित कर दी गई है।
राज्य में विधानसभा क्षेत्रों
के परिसीमन के मुद्दे पर आरएसएस की शीर्ष कार्यकारिणी ने कहा कि संघ ने
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के कदम का हमेशा से विरोध किया है।
फारूक ने जम्मू एवं कश्मीर जन प्रतिनिधि कानून 1957 में संशोधन कर परिसीमन
को 2026 तक के लिए रोक दिया था।
आरएसएस अधिकारी ने कहा, "हम उन
लोगों के साथ हैं जो सोचते हैं कि जनसंख्या के आधार पर जम्मू क्षेत्र में
ज्यादा विधानसभा सीटें होनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि सरकार उनकी मांग पर
विचार करेगी।"
सूत्रों ने कहा कि आरएसएस नेता सोचते हैं कि सरकार को
विधानसभा सीटों के परिसीमन पर विचार करना चाहिए, क्योंकि फारूक अब्दुल्ला
ने यह कदम कश्मीर घाटी में मुस्लिम वोटों पर नजर रखकर राजनीतिक दलों को
फायदा देने के उद्देश्य से उठाया था।
हालांकि, सीमाओं का ताजा
विभाजन (अगर परिसीमन आयोग इसे लाता है) राज्य के राजनीतिक नक्शे को बदल
सकता है, तो बड़े आकार के कारण जम्मू से ज्यादा प्रतिनिधि आएंगे।
(आईएएनएस)
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