नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को कहा कि बिहार में संगठन के अध्यक्ष मोहन भागवत की युद्ध के लिए भारतीय सेना की मुस्तैदी को लेकर की गई टिप्पणी को तोड़-मोड़ कर पेश किया गया है। आरएसएस के मुताबिक भागवत ने सेना की तुलना अपने संगठन से नहीं की। आरएसएस ने एक बयान में कहा कि भागवत ने रविवार को मुजफ्फरपुर में एक सभा में कहा था कि युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना को समाज को तैयार करने में छह महीने का वक्त लगेगा जबकि आरएसएस स्वंयसेवक उन्हें केवल तीन दिन में तैयार कर सकते हैं क्योंकि स्वंयसेवक रोजाना अनुशासन का अभ्यास करते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आरएसएस प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने कहा, यह भारतीय सेना और संघ कार्यकर्ताओं के बीच तुलना नहीं है। यह आम समाज और स्वंयसेवकों के बीच की तुलना है। दोनों को ही केवल भारतीय सेना प्रशिक्षित कर सकती है। आरएसएस प्रमुख 10 दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। रविवार को उन्होंने कहा था कि अगर लड़ाई की स्थिति उत्पन्न होती है और संविधान इजाजत देता है तो संघ देश के लिए लडऩे वालों की सेना तीन दिन में तैयार कर सकता है।
मुजफ्फरपुर में जिला स्कूल परिसर में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, संघ तीन दिन में सेना तैयार कर सकता है और यही काम करने में थल सेना को छह से सात महीने लगेंगे। यह हमारी क्षमता है। ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए और संविधान की इजाजात होने पर स्वंयसेवकों को देश के लिए आगे आकर लडऩे के लिए तैयार होंगे। उन्होंने कहा, आरएसएस कोई सैन्य संगठन नहीं है लेकिन हमारे पास सेना जैसा अनुशासन है। अगर देश को जरूरत होगी और संविधान इसकी इजाजत देता है, तो संघ दुश्मनों के खिलाफ सीमा पर लडऩे के लिए तैयार है।
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