नई दिल्ली। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के एक वर्ष पूरा होने पर प्रकाशित किताब में सेना के मेजर माइक टैंगो ने उस महत्वपूर्ण और चौंका देने वाले मिशन से जुड़े अपने अनुभव को साझा किया है। आपको बता दें कि पिछले साल 28-29 सितंबर को भारतीय सेना ने पाक सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया है। ‘इंडियाज मोस्ट फीयरलेस: ट्रू स्टोरीज ऑफ मॉडर्न मिलिटरी हीरोज’ शीर्षक वाली किताब में मेजर ने उन लम्हों को बयां किया है, जब भारतीय सेना ने पाक सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।
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मेजर के मुताबिक हमला बहुत ठीक तरीके से और तेजी के साथ किया गया था, लेकिन अपने लक्ष्य को अंजाम देने के बाद वापस लौटना सबसे मुश्किल था। दुश्मन सैनिकों की गोलियां कानों के पास से निकल रही थीं। सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए उड़ी हमले में नुकसान झेलने वाले दो यूनिटों के सैनिकों के इस्तेमाल का निर्णय किया। सेना ने घटक टुकड़ी का गठन किया और उसमें उन दो यूनिटों के सैनिकों को शामिल किया गया, जिन्होंने अपने जवानों को गंवाया था। किताब में कहा गया है, रणनीतिक रूप से यह चालाकी से उठाया गया कदम था। अग्रिम भूमि की जानकारी उनसे बेहतर शायद ही किसी को थी, लेकिन कुछ और भी कारण थे। उसमें साथ ही कहा गया है, उनको मिशन में शामिल करने का मकसद उड़ी हमलों के दोषियों के खात्मे की शुरुआत भी था।
मेजर टैंगो को मिशन की अगुआई के लिए चुना गया था। किताब में कहा गया है, टीम लीडर के रूप में मेजर टैंगो ने सहायक भूमिका के लिए खुद से सभी अधिकारियों और कर्मियों का चयन किया। उन्हें इस बात की अच्छी तरीके से जानकारी थी कि 19 लोगों की जान बहुत हद तक उनके हाथों में थी। इन सबके बावजूद अधिकारियों और कर्मियों की सकुशल वापसी को लेकर मेजर टैंगो थोड़े चिंतित थे। किताब में उनको यह याद करते हुए कोट किया गया है, वहां मुझे लगता था कि मैं जवानों को खो सकता हूं।
मेजर ने कहा, वास्तविक हमले से कमांडोज घबराए नहीं थे, लेकिन एलओसी पर चढ़ाई वाले रास्ते को पार करते हुए लौटना बहुत कठिन था। जिस ओर सैनिकों का पीठ था वहां से पाकिस्तानी सैनिक गोलीबारी कर रहे थे। सैनिक उनके टारगेट पर थे। सर्जिकल स्ट्राइक के लिए आईएसआई द्वारा संचालित और पाकिस्तानी सेना से संरक्षित प्राप्त आंतकियों के 4 लॉन्चिंग पैड्स को चुना गया था। किताब में बताया गया है कि मेजर के साथियों ने मास्क्ड कम्यूनिकेशन्ज के जरिए सीमा पार 4 लोगों से संपर्क साधा, जिसमें पीओके के 2 स्थानीय ग्रामीण और 2 उस इलाके में सक्रिय पाकिस्तानी नागरिक थे।
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