हैदराबाद। भारतीय मुस्लिमों के शीर्ष निकाय ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने गुरुवार को कहा कि अगर सरकार सभी त्रुटियां दूर कर देती है, तब वह तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले विधायक का स्वागत करेंगे। मुद्दे पर रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत करने के लिए अपने पूर्ण अधिवेशन से एक दिन पहले बोर्ड ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह वर्तमान प्रारूप के साथ इसको स्वीकार नहीं करेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार कानून के माध्यम से तलाक की पूरी प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रही है और मुस्लिम पतियों को तलाक के अधिकार से वंचित कर रही है। सभी इस्लामिक विचार मंचों का प्रतिनिधित्व करने वाले बोर्ड ने कहा कि हमारे अध्यक्ष द्वारा लिखे पत्र पर हमें अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। पत्र में प्रधानमंत्री का ध्यान इस विधेयक के दोषों की तरफ दिलाया गया था और अपने विचारों को पेश करने के लिए मिलने की मांग की गई थी।
एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश, अभी तक पीएमओ की तरफ से हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।’’ बोर्ड सचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बोर्ड के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी के साथ प्रेस वार्ता की। उन्होंने दावा किया कि विधेयक संविधान, मौलिक अधिकारों, मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और महिलाओं व बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
मौलाना नोमानी ने कहा कि बोर्ड ने सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वह अपनी अंतर आत्मा से यह फैसला करें कि विधेयक वर्तमान प्रारूप में पारित होना चाहिए या नहीं। उन्होंने विपक्षी दलों और राजद के कुछ सहयोगियों का विधेयक में दोषों को सामने लाने के लिए और उसके खिलाफ विरोध करने पर उनका धन्यवाद दिया। बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि दुनिया में कहीं भी इस तरह का कानून नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘बतौर नागरिक, हमें इस कानून पर शर्म आती है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट किए जाने के बाद भी इस कानून के मसौदे के साथ आगे बढऩे जा रही है। न्यायालय ने कहा था कि सरकार तीन तलाक के अलावा तलाक के किसी भी प्रारूप में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि विधेयक के उद्देश्य में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इसमें केवल तीन तलाक ही नहीं, बल्कि अखंडनीय तलाक के सभी प्रारूपों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है।
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