फैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय से कला में स्नातक करने वाले
गायत्री प्रसाद प्रजापति पहली बार 2012 में विधायक बने। इसके बाद ऊंचाइयां
छूते चले गए। कभी मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन धूमधाम से मनाकर सपा के
शीर्ष नेतृत्व की नजर में आने वाले गायत्री कब सपा परिवार के करीबी बन गए,
पता ही नहीं चला। उनको फरवरी 2013 में सिंचाई राज्यमंत्री बनाया गया। इसके
बाद स्वतन्त्र प्रभार खनन मंत्री पद से नवाजा गया। जनवरी 2014 में उनको इसी
विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया।
महज एक साल में गायत्री के हुए तीन प्रमोशन
आरोप
लगाया जाता है कि बतौर खनन मंत्री गायत्री ने अकूत संपत्ति एकत्र कर ली।
इसी बीच हाईकोर्ट ने खनन विभाग में अनिमियताओं को लेकर सीबीआई जांच के आदेश
दे दिए, तो यूपी सरकार और गायत्री दोनों को जोरदार झटका लगा। 12 सितंबर,
2016 को सीएम अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से बर्खास्त
कर दिया। इसे बाद हुए सियासी ड्रामे के बाद अखिलेश सरकार ने उनको फिर से
मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। इस बार उनको फिर परिवहन मंत्रालय की कमान दे
दी गई।
यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान गायत्री प्रजापति एक बार फिर
तब सुर्खियों में आए, जब सुप्रीम कोर्ट ने उन पर रेप का केस दर्ज करने का
यूपी पुलिस को आदेश दिया। इसके बाद से गायत्री फरार चल रहे हैं। कोर्ट के
आदेश के बाद यूपी पुलिस ने गायत्री प्रजापति और उनके सहयोगियों अशोक
तिवारी, पिंटू सिंह, विकास शर्मा, चंद्रपाल, रूपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ
आईपीसी की धारा 376, 376डी, 511, 504, 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट
दर्ज किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया केस दर्ज करने का आदेश
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