नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए मंगलवार को कहा कि यह अति संवेदनशील मुद्दा है इसलिए दोनों पक्षों को कोर्ट के बाहर आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए, और यही बेहतर रहेगा। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि दोनों पक्ष को मिल-बैठकर इस मुद्दे को कोर्ट के बाहर हल करना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक, दोनों पक्ष इसके लिए वार्ताकार तय कर सकते हैं, जो विचार-विमर्श करें। उन्होंने कहा, अगर जरूरत पड़ती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता को तैयार हैं।
कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर का मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है। भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह पिछले छह साल से लंबित राम मंदिर अपील पर सुनवाई करें, इससे मेरे न्याय प्राप्त करने के अधिकारों की हनन हो रहा है इसलिए कोर्ट को रोजाना सुनवाई कर जल्द फैसला सुनाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि यह मामला धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिए दोनों पक्ष आपस में बैठें और बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश करें।
हालांकि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि दोनों समुदाय इस मुद्दे को लेकर हठी हैं, इसलिए साथ नहीं बैठेंगे। इस मामले में कोर्ट की टिप्प्णी के बारे में जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बताया कि चीफ जस्टिस ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के जज इस मामले में मध्यस्थता को तैयार हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए अगले शुक्रवार तक का समय दिया है।
उन्होंने कहा कि अगर दोनों पक्ष आपसी बातचीत से कोई हल नहीं निकाल पाते, तो फिर कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर फैसला देने के लिए तैयार रहेगा। लेकिन फिलहाल दोनों पक्ष के सभी लोग टेबल पर बैठकर बातचीत करेंगे, तो ज्यादा अच्छा रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 31 मार्च को फिर से मेंशन करने को कहा है।
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