अमरीश शुक्ला, इलाहाबाद। इलाहाबाद की हंडिया विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी के
साथ सपा के एमएलसी व कद्दावर नेता वासुदेव यादव की साख डूब गई। न राकेशधर त्रिपाठी
की पत्नी प्रमिला त्रिपाठी जीती और न ही वासुदेव यादव की बेटी निधी यादव। दो
दिग्गजों की लड़ाई में बाजी बसपा के हाकिम लाल मार ले गये। प्रमिला त्रिपाठी जहां
दूसरे स्थान पर रही वहीं निधि यादव को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। हंडिया के
चुनाव में सारे अनुमान व कयास ध्वस्त हो गये। लड़ाई में नहीं गिने जा रहे हाकिम लाल
ने न सिर्फ मठाधीशों को चित्त कर दिया बल्कि राजनीति का वह नाटकीय घटनाक्रम
दिखाया, जो कभी भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी ने लोकसभा के चुनाव में
देखा था। [ अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
हाकिम ने
पलट दी बाजी
हाकिम लाल न तो मीडिया की सुर्खियों में आये और न ही विवादो में घिरे। यहां तक कि
उनके लिये स्टार प्रचारकों की बड़ी रैली य जनसभा भी नहीं हुई है। इसके बावजूद भी
हाकिम ने बाजी पलट दी और पर्श से अर्श तक का सफर तय कर दिखाया। हाकिम
लाल हंडिया से बतौर बसपा प्रत्याशी 72,446 वोट पाकर विजयी
हुये। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रमिलाधर त्रिपाठी जो भाजपा-अद गठबंधन से अपनादल
से प्रत्याशी थी ने 63,920 वोट हासिल किये। हाकिम ने 8 हजार से अधिक वोटों से
प्रमिला को हराया। वहीं सपा से निधि यादव 55,403 वोट के साथ हाकिम से बहुत
पीछे रह गई।
वासुदेव गुट
में खामोशी
मालूम हो कि यूपी बोर्ड के सचिव रहे और मौजूदा समय में सपा एमएलसी वासुदेव यादव का
कद सपा में कैबिनेट मंत्री स्तर का है और उनकी सपा में इस तरह चलती है कि बिना शोर
शराबे को अपनी बेटी के राजनैतिक कैरियर का आगाज कराने के लिए विधायकी का टिकट दिला
दिया। वह भी विधायक प्रशान्त का टिकट काट कर। वासुदेव ने निधि की जीत के लिए एड़ी-चोटी
का जोर लगा दिया था। लेकिन परिणाम के बाद वासुदेव खेमा किसी सदमे में जाता दिखा
है।
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