नई दिल्ली। राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ही गुजरात के मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई
थी लेकिन मोदी-अमिशा से नाराज होकर पीके नीतीश कुमार के पास चले गए।
प्रशांत किशोर ने बिहार में नीतीश और महागठबंधन को इतना मजबूत कर दिया कि
बीजेपी बिहार में चारों खाने चित्त हो गए। उसके बाद यूपी, पंजाब में
चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने पीके का सहारा लिया।
कांग्रेस को पंजाब में तो जीत हासिल हो गई लेकिन यूपी में करारी हार का
सामना करना पड़ा जिसके बाद किशोर कांग्रेस से दूर हो गए। वहीं इन दिनों
किशोर वाईएसआर कांग्रेस के लिए सियासी रणनीति बना रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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में चल रही खबरों के अनुसार किशोर ने आंध्र प्रदेश को इसलिए चुना क्योंकि,
वहां कांग्रेस लडाई में नहीं है। पीके के करीबियों के मुताबिक उनको
तेलंगाना में भी आमंत्रित किया गया लेकिन वहां कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल
है, इसलिए उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया। दरअसल, पीके कांग्रेस के खिलाफ नहीं
जाना चाहते, उनके करीबियों का मानना है कि पीके और राहुल गांधी में तमाम
मुद्दों पर सहमति होती है और रही भी है, लेकिन कांग्रेस राहुल के कहने पर
चलती नहीं है। पीके के करीबियों के मुताबिक कांग्रेस हमेशा ही राहुल के उलट
रणनीति बनाती है और नतीजा होता है हार। किशोर ने उदाहरण देते हुए कहा कि
कांग्रेस ने पंजाब में उनकी रणनीति मानी जिसके चलते वहां आम आदमी पार्टी का
सूपड़ा बिल्कुल ही साफ हो गया लेकिन यूपी में राहुल की सहमति के बावजूद
कांग्रेस ने अलग रुख अपनाया और चुनाव में उनकी दुर्दशा हुई।
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