गोरखपुर। उप्र में भाजपा सरकार की मांस की दुकानों पर टेढ़ी नजर है। सोमवार को शहर के कोतवाली, तिवारीपुर, गोरखनाथ और राजघाट थाना क्षेत्रों में चलने वाली गोश्त की दुकानों पर पुलिस ने लाइसेंस जांच अभियान चलाया। गोरखपुर। महानगर की बात करें तो गोश्त की दुकानों से निकले
गोश्त के जरिए लगभग 50 होटल महानगर में चलते हैं। कई किलो गोश्त इन होटलों
पर प्रतिदिन खपत होता हैं। इस गोश्त के व्यवसाय से करीब 5 हजार लोगों को
रोजगार जुड़ा हुआ है। अगर गोश्त की दुकानों पर पाबंदी लगायी गयी तो
रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो सकता हैं। मुस्लिमों की बड़ी आबादी की
निर्भता इसी गोश्त पर ही हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम मुहं से निवाला
छीनने वाला साबित हो सकता हैं। ऐसे में चल रहे करीब 50 मुस्लिम होटल बंद
भी हो सकते हैं। फिलहाल लोग आगे की कार्यवाही का इन्तेजार कर रहे है। बिक्री दुकानों पर पशु काटने का नहीं मिलता लाइसेंस: डीओ
गोरखपुर। रसद विभाग खाद्य एवं औषधीय विभाग के जिला अभिहीत अधिकारी अजीत
कुमार राय ने कहा कि गोश्त बिक्री वाली दुकानों को वध लाइसेंस नहीं मिलता।
वध लाइसेंस सिर्फ स्लाटर हाउस होने पर जांच प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद
ही मिलता है। उन्होंने कहा कि जो गोश्त बिक्री की दुकानें है और लाइसेंसी
है तो वह बेच सकतेे पर काट नहीं सकते।
बक्शीपुर, अस्करगंज, जाफराबाजार, तुर्कमानपुर, रहमतनग, गोरखनाथ, रसूलपुर, पिपरापुर, जमुनहिया इलाकों में चलने वाली इन दुकानों पर भैंस के गोश्त का कारोबार होता है। हालांकि इन दुकानदारों का कहना है कि उनके पास लाइसेंस है लेकिन उसका नवीनीकरण 2002 से नहीं हुआ है। अभी तो केवल लाइसेंस जांच चल रही हैं।
शहर में करीब 150 दुकानें हैं । इस तरह देखा जायें तो किसी दुकानदार के पास नवीनीकृत लाइसेंस नहीं हैं। अगर शासन इन दुकानों को बंद करती हैं तो हज़ारों मुस्लिम परिवारों पर सीधे इसका असर पड़ेगा। होटल व्यवसाय पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा।
कोतवाली और राजघाट थाना प्रभारियों ने बताया कि केवल लाइसेंस जांच की जा रही हैं।
पशु महानगर के लगभग करीब 5-6 स्थानों पर कटता है। जहां पर और जहां से ले जाकर गोश्त को लगभग 150 दुकानों से बेचा जाता हैं। जहां तक लाइसेंस का सवाल हैं तो लाइसेंस सभी दुकानदारों के पास है लेकिन बीते करीब 15 वर्षो से किसी के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हुआ है। नवीनीकरण न होने की बड़ी वजह हुमांयूपुर स्थिति स्लाटर हाउस का बंद होना हैं। करीब 15 वर्ष पूर्व स्लाटर हाउस बंद कर भटहट शिफ्ट कर दिया गया। तभी से गोश्त व्यवसायियों ने अपने रिहाईशगाहों पर गोश्त काटना व बेचना शुरु कर दिया।
शासन के निर्देश पर लाइसेंसों का वेरिफिकेशन कर उसकी सूची तैयार की जा रही है। जो शासन को भेजी जायेगी। मालूम हो कि गोश्त की दुकानें लाइसेंस नवीनीकरण न होने तथा कारोबार चलते रहने की दशा में अवैध बूचड़खानों की श्रेणी में आ सकती है। लाइसेंसियों की सूची तैयार कर शासन को भेजेगी जहां से अन्तिम निर्णय निर्गत होगा।
सिर्फ लाइसेंसों की हो रही जांच: एसपी सिटी
गोरखपुर। एसपी सिटी हेमराज मीणा ने दूरभाष पर हुई बातचीत में कहा कि अभी सिर्फ लाइसेंसों की जांच प्रक्रिया चल रही है । जिसकी सूची तैयार कर शासन को भेजी जायेगी। आगे जो दिशा निर्देश मिलेगा, उस पर त्वरित कार्यवाही होगी।
करीब 50 मुस्लिम होटलों पर पड़ेगा बुरा प्रभाव, 5 हजार लोग हो सकते बेरोजगार
वहीं मेयर सत्या पांडेय ने कहा कि वर्ष 2002 से लाइसेंस देने का अधिकार नगर निगम के पास नहीं हैं।
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